लोहड़ी 2024
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लोहरी का लोकप्रिय गीत सुंदर मुंदरिए हो
इस गीत के बिना लोहड़ी का त्यौहार अधूरा सा लगता है।
इस गीत में रेवड़ी की मिठास है।
इस गीत को गाने के बाद ही लगता है कि लोहड़ी मनाई गई है।
लोहड़ी एक बहुत बड़े पर्व की तरह है।
जैसे ही सूरज ढलता है बच्चे हाथ में थैले पकड़ कर लोहरी मांगने निकल पड़ते हैं|
हर घर में लोहड़ी का गीत गाने वहीं बड़े बूढ़े अपने यार दोस्तों के साथ आग जलाते हैं।
थोड़ी सी रात और होती है तो सभी महिलाएं, पुरुष और आस पास के लोग एक आग किनारे खड़े हो जाते हैं। लोक गीत गाए जाते हैं।
ढोल की थाप पर भांगड़ा और गिद्दा होता है।
अगर किसी के घर बच्चा हुआ हो या नई शादी हुई हो उनके घर पर अलग से बड़ा प्रोग्राम होता है।
आज भले ही देश मॉर्डन हो गया हो, लेकिन लोहड़ी के गीत वैसे ही हैं और उतने ही उत्साह के साथ लोग इन्हें गाते हैं।
सुंदर मुंदरिये हो !
तेरा कौन विचारा हो !
दुल्ला भट्टी वाला हो !
दुल्ले दी धी व्याही हो !
सेर शक्कर पाई हो !
कुड़ी दे जेबे पाई|
कुड़ी दा लाल पटाका हो !
कुड़ी दा सालू पाटा हो !
सालू कौन समेटे हो !
चाचे चूरी कुट्टी हो !
ज़मिदारां लुट्टी हो !
ज़मींदार सदाए हो !
गिन-गिन पोले लाए हो !
इक पोला रह गया !
सिपाही फड के लै गया !
सिपाही ने मारी ईट|
भावें रो भावें पिट
सानू दे दे लोहड़ी
तुहाडी बनी रवे जोड़ी !
यहाँ एक विस्तृत तालिका है जो लोहड़ी त्योहार 2024 के बारे में है:
त्योहार का नाम | लोहड़ी 2024 |
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तारीख | 13 या 14 जनवरी (हर साल बदलता है) |
अन्य नाम | कोई नहीं |
महत्व | शीतकाल सोल्स्टिस और रबी फसलों के बढ़ते हुए किसानों का त्योहार |
चाँद्र मास | पौष (पूर्णिमा) |
अवधि | शाम का त्योहार |
अनुष्ठान | अग्नि को अर्घ, आग का प्रज्वलन, लोकगीत गाना, नृत्य करना, खाने की चीजें प्रस्तुत करना, और उपहारों का आदान-प्रदान करना |
पूजा की तैयारी | घर की सफाई, विशेष लोहड़ी व्यंजन बनाना, और आस-पास को सजाना |
कथा और पौराणिक कथा | दुल्ला भट्टी और सुंदर मुंदरी की कहानी से जुड़ा है |
पारंपरिक प्रसाद | तिल, गुड़, मूंगफली, और अन्य खाद्य पदार्थ |
क्षेत्रीय विविधताएँ | मुख्य रूप से भारत के पंजाब क्षेत्र में मनाया जाता है |
पॉपुलर क्षेत्र | मुख्य रूप से उत्तर भारत में मनाया जाता है, विशेषकर पंजाब, हरियाणा, और दिल्ली में |
उद्देश्य | एक प्रचुर संवादनाओं और समृद्धि की प्रार्थना के रूप में |
अनुष्ठानिक योग्यता | बॉनफायर सूरज के वापसी का प्रतीक है, और अग्नि देवता आग्नि को प्रणाम किया जाता है |
परिवारी भागीदारी | सभी परिवार के सभी सदस्यों की भागीदारी के साथ एक समुदाय और परिवार उत्सव है |
सांस्कृतिक महत्व | क्षेत्र की कृषि और सांस्कृतिक धरोहर का प्रतिबिम्ब करता है |
भक्तिमात्रिता | प्रकृति, फसलों, और समुदाय का खुशी-खुशी मनाने का एक खुशी भरा त्योहार है |
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लोहरी त्यौहार क्यों मनाया जाता है ?
लोहड़ी का त्यौहार, जो मुख्य रूप से पूरे भारत में सिखों और हिंदुओं द्वारा मनाया जाता है, सर्दियों के मौसम के अंत का प्रतीक है और पारंपरिक रूप से उत्तरी गोलार्ध में सूर्य का स्वागत करने के लिए माना जाता है।
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लोहड़ी कब मनाई जाती है ?
लोहरी का त्यौहार हर साल 13 january को मनाया जाता है और यह साल का पहला त्यौहार भी होता है |
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लोहड़ी का त्यौहार कहां मनाया जाता है ?
लोहड़ी भारत में विशेष रूप से उत्तरी क्षेत्र के लोगों द्वारा मनाया जाने वाला एक पारंपरिक त्यौहार है। यह त्यौहार पंजाब ,हरयाणा , हिमाचल, जम्मू कश्मीर, दिल्ली , उत्तर प्रदेश और राजस्थान के कुछ प्रांतो में मनाया जाता है
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2024 की लोहड़ी कब है
2024 में लोहड़ी 13 January 2024 को है