श्री कार्तिकेय स्तोत्र Sri Kartikeya Stotram 


स्कंद उवाच –

 
योगीश्वरो महासेनः कार्तिकेयोऽग्निनन्दनः।
 
स्कंदः कुमारः सेनानी स्वामी शंकरसंभवः॥१॥
 
 
गांगेयस्ताम्रचूडश्च ब्रह्मचारी शिखिध्वजः।
 
तारकारिरुमापुत्रः क्रोधारिश्च षडाननः॥२॥
 
 
शब्दब्रह्मसमुद्रश्च सिद्धः सारस्वतो गुहः।
 
सनत्कुमारो भगवान् भोगमोक्षफलप्रदः॥३॥
 
 
शरजन्मा गणाधीशः पूर्वजो मुक्तिमार्गकृत्।
 
सर्वागमप्रणेता च वांछितार्थप्रदर्शनः ॥४॥
 
 
अष्टाविंशतिनामानि मदीयानीति यः पठेत्।
 
प्रत्यूषं श्रद्धया युक्तो मूको वाचस्पतिर्भवेत् ॥५॥
 
 
महामंत्रमयानीति मम नामानुकीर्तनात्।
 
महाप्रज्ञामवाप्नोति नात्र कार्या विचारणा ॥६॥
 

श्री कार्तिकेय स्तोत्र

Sri Kartikeya Stotram
Sri Kartikeya Stotram

श्री कार्तिकेय स्तोत्र का पाठ के लाभ

  • इस स्तोत्र का पाठ करने से जीवन में सकरात्मकता का वास होता है
  • इस पाठ को करने से शरीर में ऊर्जा प्रदान होती है
  • श्री कार्तिकेय स्तोत्र का पाठ करने से हर काम में सफलता प्राप्त होती है
  • यह पाठ करने से शत्रुओ का भी नाश होता है

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FAQ’S

  1. <strong>श्री कार्तिकेय जी के कितने नाम है?<br></strong>

    श्री कार्तिकेय जी के 70 नाम है

  2. श्री कार्तिकेय जी का दूसरा नाम क्या है?<br>

    श्री कार्तिकेय जी का दूसरा मुरुगन है


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