सरस्वती माता के मंत्र

ॐ नमो सरस्वती विद्या नमो कंठ विराजो

आप भुला अक्षर कंठ करें हृदय विराजो आप

ॐ नमो स्वः ठ:ठ:ठ:  “


माता सरस्वती मंत्र

सरस्वती मंत्र  बीज मंत्र ” ऐं ” है।

द्वयक्षर सरस्वती मंत्र

  1. आं लृं 
  2. ऐं लृं 

त्र्यक्षर सरस्वती मंत्र      

ऐं रुं स्वों। 

चतुर्क्षर सरस्वती मंत्र 

ॐ ऐं नमः।

नवाक्षर सरस्वती मंत्र

ॐ ऐं ह्रीं सरस्वत्यै नमः

 दशाक्षर सरस्वती मंत्र

  • वद वद वाग्वादिन्यै स्वाहा
  • ह्रीं ॐ ह्रसौं ॐ सरस्वत्यै नमः।

एकादशाक्षर सरस्वती मंत्र

ॐ ह्रीं ऐं ह्रीं ॐ सरस्वत्यै नमः।

एकादशाक्षर-चिन्तामणि-सरस्वती मंत्र

ॐ ह्रीं ह्स्त्रैं ह्रीं ॐ सरस्वत्यै नमः।

एकादशाक्षर-पारिजात-सरस्वती मंत्र

  • ॐ ह्रीं ह्सौं ह्रीं ॐ सरस्वत्यै नमः |
  • ॐ ऐं ह्स्त्रैं ह्रीं ॐ सरस्वत्यै नमः।

द्वादशाक्षर सरस्वती मंत्र

ह्रीं वद वद वाग्-वादिनि स्वाहा ह्रीं


अन्तरिक्ष-सरस्वती मंत्र

ऐं ह्रीं अन्तरिक्ष-सरस्वती स्वाहा।

 
षोडशाक्षर सरस्वती मंत्र

ऐं नमः भगवति वद वद वाग्देवि स्वाहा।

सरस्वती महाभागे विद्ये कमल लोचने।

विद्यारूपे विशालाक्षी विद्या देहि नमोस्तुते !


शिक्षा व् अध्ययन के क्षेत्र काम कर रहे लोगो, विद्यार्थियों को माता सरस्वती की आराधना करनी चाहिए |

वे लोग जो मंदबुद्धि है ,जिन्हें भूलने की बीमारी है ,उन्हें भी माता सरस्वती की पूजा करनी चाहिए |


मां सरस्वती का श्र्लोक मंत्र

पहले ॐ गं गणपतये नम: मन्त्र का जाप करें। 

ॐ श्री सरस्वती शुक्लवर्णां सस्मितां सुमनोहराम्।। कोटिचंद्रप्रभामुष्टपुष्टश्रीयुक्तविग्रहाम्।

वह्निशुद्धां शुकाधानां वीणापुस्तकमधारिणीम्।।  रत्नसारेन्द्रनिर्माणनवभूषणभूषिताम्।

सुपूजितां सुरगणैब्रह्मविष्णुशिवादिभि:।।

वन्दे भक्तया वन्दिता च मुनीन्द्रमनुमानवै:।
 

देवी सरस्वती का मूल मंत्र

‘शारदा शारदाभौम्वदना। वदनाम्बुजे।सर्वदा सर्वदास्माकमं सन्निधिमं सन्निधिमं क्रिया तू।

अन्य सरस्वती देवी के मंत्र 

  • ॐ ऐं ह्रीं क्लीं महासरस्वती देव्यै नम:|
  • ॐ श्रीं ह्रीं सरस्वत्यै स्वाहा।
  • ॐ ह्रीं ऐं ह्रीं सरस्वत्यै नमः।
  • ॐ महाविद्यायै नम: |
  • ॐ वाग्देव्यै नम: |
  • ॐ ज्ञानमुद्रायै नम: |

सरस्वती देवी की स्तुति 

या कुंदेंदुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता

या वीणावरदण्डमंडितकरा या श्वेतपद्मासना !

या ब्रह्माच्युतशंकरप्रभ्रृतिभिर्देवै: सदा वन्दिता

सा मां पातु सरस्वती भगवती नि:शेषजाड्यापहा ! 

 
मंत्र का अर्थ :-

जो चन्द्रमा समान मुखमंडल लिए, हिम जैसे श्वेत कुंद फूलों के हार और शुभ्र वस्त्रों से अलंकृत हैं ,जो हाथों में श्रेष्ठ वीणा लिए श्वेत कमल पर विराजमान हैं,ब्रह्मा, विष्णु और महेश आदि देवगण भी जिनकी सदैव स्तुति करते हैं ,हे मां भगवती सरस्वती, आप मेरी सारी मानसिक जड़ता को दूर करो,हे सर्वत्र-विद्यमान विद्या देवी, आपको मेरा बार-बार नमस्कार |

सरस्वती माता का रक्षा मंत्र स्तुति 

या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता 

या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना।

या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता

सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा ॥ 

शुक्लां ब्रह्मविचार सार परमामाद्यां जगद्व्यापिनीं

वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्‌।

हस्ते स्फटिकमालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम्‌

वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्‌॥ 

सरस्वती रक्षा मंत्र स्तुति का अर्थ :-

जो विद्या की देवी भगवती सरस्वती कुन्द के फूल, चंद्रमा, हिमराशि और मोती के हार की तरह धवल वर्ण की हैं और जो श्वेत वस्त्र धारण करती हैं, जिनके हाथ में वीणा-दण्ड शोभायमान है, जिन्होंने श्वेत कमलों पर आसन ग्रहण किया है तथा ब्रह्मा, विष्णु एवं शंकर आदि देवताओं द्वारा जो सदा पूजित हैं, वही संपूर्ण जड़ता और अज्ञान को दूर कर देने वाली माँ सरस्वती हमारी रक्षा करें॥

शुक्लवर्ण वाली, संपूर्ण चराचर जगत्‌ में व्याप्त, आदिशक्ति, परब्रह्म के विषय में किए गए विचार एवं चिंतन के सार रूप परम उत्कर्ष को धारण करने वाली, सभी भयों से भयदान देने वाली, अज्ञान के अँधेरे को मिटाने वाली, हाथों में वीणा, पुस्तक और स्फटिक की माला धारण करने वाली और पद्मासन पर विराजमान्‌ बुद्धि प्रदान करने वाली, सर्वोच्च ऐश्वर्य से अलंकृत, भगवती शारदा (सरस्वती देवी) की मैं वंदना करता हूँ

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माता सरस्वती मंत्र
 

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