रामेश्वरम् मंदिर

 
रामेश्वरम् मंदिर इसे रामनाथस्वामी मंदिर के नाम से भी जाना जाता हैं। यह भगवान शिव का एक हिन्दू मंदिर है जो भारत में तमिलनाडु राज्य के रामेश्वरम् द्वीप पर स्थापित है। भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग में से भी यह एक है।
 
पौराणिक कथाओं के अनुसार माना जाता है रामेश्वरम का रामेश्वरम मंदिर रामायण के जितना ही पुराना है।
 
 
रामेश्वरम मंदिर भारत के प्रमुख्य तीर्थ स्थानों में से एक है। यह मंदिर एक बहुत ही पवित्र स्थल है क्योंकि बारह स्थापित ज्योतिर्लिंग में से एक इस मंदिर में मौजूद है।
 
भारत का एक बहुत ही सुंदर तथा पवित्र तीर्थस्थल है जहां प्रतिवर्ष लाखों की तादाद में श्रद्धालु पहुंचते हैं। लिंग के रूप में इस मंदिर में मुख्य भगवान  श्री रामनाथस्वामी को माना जाता है जो वैष्णववाद और शैववाद का एक संगम है।
 
पहले यहा पर मराठा शासको ने शासन किया था और फिर छत्रं का निर्माण भी रामेश्वरम में किया गया था।
 
रामेश्वरम मंदिर के विकास में हिन्दू शासकों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। उनके योगदान और दान के बदौलत ही रामेश्वरम मंदिर का विकास हो पाया था।
 
कहा जाता है की वर्तमान समय के आकार के मंदिर को 17 वी शताब्दी में बनवाया गया था। जानकारों के अनुसार राजा किजहावन सेठुपति या रघुनाथ किलावन ने रामेश्वरम मंदिर के निर्माण कार्य की आज्ञा दी थी। मंदिर के निर्माण में सेठुपति साम्राज्य के जफ्फना राजा का योगदान महत्वपूर्ण रहा है।
 
राजा जेयावीरा किन्कैअरियन (1380-1410 CE) ने त्रिंकोमली के कोनेश्वरम मंदिर से पत्थरो को रामेश्वरम के पवित्र स्थान पर मंदिर निर्माण के लिए भेजा था। इसके बाद जेयावीरा किन्कैअरियन के उत्तराधिकारी गुणवीरा किन्कैअरियन रामेश्वरम के ट्रस्टी थी और मंदिर के विकास में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा है।
 
रामेश्वरम मंदिर  के बारे में मान्यता है कि यहां स्थित अग्नि तीर्थम में जो भी श्रद्धालु स्नान करते है उनके सारे पाप धुल जाते हैं। इस तीर्थम से निकलने वाले पानी को चमत्कारिक गुणों से युक्त माना जाता है।
 
रामेश्वरम मंदिर का क्षेत्र लगभग 15 एकड का है जिसमें आपको कई प्रकार के भव्य वास्तुशिल्पी देखने को मिल जाएंगे।  कला के साथ-साथ आपको रामनाथस्वामी मंदिर में कई प्रकार के अलग-अलग शिल्पी भी देखने को मिलेगी क्योंकि समय-समय पर इस मंदिर की रक्षा कई राजाओं ने की थी।
 
एक और बात जो इस मंदिर को मुख्य बनाता है वह है प्राकृतिक झरने का पानी जिसे ‘थीर्थम’ कहा जाता है। लोगों का मानना है कि इस झरने के पानी में डुबकी लगाने वाले लोगों के सभी दुख कष्ट दूर होते हैं और पापों से मुक्ति मिलती है।
 
कहा जाता है कि इस पानी में नहाने के बाद सभी रोग−कष्ट दूर हो जाते हैं। इसके अलावा इस मंदिर के परिसर में 22 कुंड है जिसमें श्रद्धालु पूजा से पहले स्नान करते हैं। हालांकि ऐसा करना अनिवार्य नहीं है।
 
यह 274 पादल पत्र स्थलम् में से एक है, जहाँ तीनो श्रद्धेय नारायण अप्पर, सुन्दरर और तिरुग्नना सम्बंदर ने अपने गीतों से मंदिर को जागृत किया था।
 
इसके बाद 12 वी शताब्दी में पंड्या साम्राज्य ने रामेश्वरम मंदिर का विस्तार किया था और मंदिर के गर्भगृह को जफ्फना साम्राज्य के जेयावीरा किन्कैअरियन और उनके उत्तराधिकारी गुणवीरा किन्कैअरियन ने पुनर्निर्मित करवाया था।
 
 
रामेश्वरम मंदिर तमिलनाडु  - temples in tamilnadu
 
 
भारत में निर्मित सभी हिन्दू मंदिरों में तुलना में रामेश्वरम मंदिर का गलियारा सबसे बड़ा है। यह मंदिर भारत के रामेश्वरम में स्थापित है, जो शैव, वैष्णव और समर्थ लोगो के लिए एक पवित्र तीर्थस्थल माना जाता है।
 
कहा जाता है की रामायण युग में भगवान राम द्वारा शिवजी की पूजा अर्चना कर ही रामानाथस्वामी (शिवजी) के शिवलिंग को स्थापित किया गया था।
 
महाकाव्य रामायण के अनुसार एक साधु ने श्रीराम को कहा था कि शिवलिंग स्थापित करने से वहां रावण के वध के पाप से मुक्ति पा सकते हैं इसीलिए श्रीराम ने भगवान अंजनेय को कैलाश पर्वत पर एक लिंग लाने के लिए भेजा परंतु वह लिंग लेकर समय पर वापस ना लौट सके इसीलिए माता सीता ने  मिट्टी की मदद से एक लिंग तैयार किया जिसे ‘रामलिंग’ कहा गया।
 
जब भगवान अंजनेय वापस लौटे तो उन्हें यह देखकर बहुत दुख लगा। उनके दुख को देखकर भगवान श्रीराम ने उस लिंग का नाम रखा ‘वैश्वलिंगम’। इसी कारण रामेश्वरम मंदिर को वैष्णववाद और शैववाद दोनों से जोड़ा गया है।  
 
रामेश्वरम मंदिर एक तीर्थस्थान के रूप में प्रसिद्ध है। बता दें कि यह भगवान के चार धाम में से एक धाम है लेकिन बहुत कम लोग ही हैं जो यहाँ की महिमा और शक्ति से रूबरू हैं। वहीं, तमिलनाडु और भारत के दक्षिण में स्थित रामेश्वरम मंदिर को पाप की मुक्ति के लिए सर्वश्रेष्ठ स्थान बताया गया है।  
 
रामेश्वरम धाम ( Rameshwaram Temple Tamil Nadu )

 

रामेश्वरम मंदिर से जुड़ी 10 अनसुनी बातें –

 
• रामेश्वरम मंदिर तमिलनाडु प्रांत के रामनाथपुरम जिले में स्थित है, जहां रविराजित शिवलिंग को 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक बताया गया है। बस इसी बात से साबित हो जाता है कि रामेश्वरम धाम की महिमा कितनी महान है।
 
• कहते हैं कि जब भगवान श्रीराम रावण से युद्ध करने जा रहे थे तो राम को इस बात का एहसास हुआ कि अगर भगवान शिव को प्रसन्न नहीं किया गया तो रावण से युद्ध जीतना मुमकिन नहीं हो पाएगा। ऐसे में राम ने समुद्र किनारे शिवलिंग की स्थापना की और भगवान शिव की आराधना की थी और वह स्थान रामेश्वरम मंदिर कहलाने लगा।
 
• आपकी जानकारी के लिए बता दें कि मंदिर के अंदर मीठे जल के 24 कुएं मौजूद हैं। दिलचस्प बात यह है कि इन जल कुंडों का निर्माण भगवान राम ने अपने बाण से किया था। भले आज 2 जल कुंड सुख गये हो किन्तु बाकी अभी भी सुरक्षित हैं। इनके जल से व्यक्ति के जन्मों-जन्मों के पाप खत्म हो जाते हैं।
 
 
• रामेश्वरम मंदिर से जुड़ी एक कहानी यह भी है कि जब युद्ध खत्म हुआ तो भगवान राम ने इस स्थान पर शिव पूजा करने का मन बना लिया था। ऐसे में हनुमान जी को शिवलिंग लाने का काम सौपा गया। हनुमान जी शिवलिंग लेने कैलाश पर्वत गए थे और यहां पूजा का मुहूर्त का समय निकलते जा रहा था। फिर क्या माता सीता ने रेत का शिवलिंग बनाया और राम जी की पूजा समय पर करवाई।
 
• उधर इस बात से हनुमान को बहुत दुःख पहंचा क्योंकि वह काफी दूर से शिवलिंग लेकर आए थे। तब राम ने हनुमान की भावनाओं को समझा और आदेश दिया था कि आप रेत के शिवलिंग को खत्मकर अपना शिवलिंग यहीं लगा दें। गौरतलब है कि हनुमान जी रेत के शिवलिंग को यहां से हटा नहीं पाए थे, तभी हनुमान अपनी गलती समझ गए थे।
 
• अगर आप शिवपुराण पढ़ते होंगे तो उसमें भी रामेश्वरम धाम की महिमा का गुणगान किया गया है। शिवपुराण में बताया गया है कि यह धाम कितना खास और महत्वपूर्ण है।
 
• यही नहीं, रामेश्वरम धाम को जिस तरह से बनाया गया है वह भी देखने लायक चीज़ है। यहाँ की कलाकारी को देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं और काफी सराहना करते हैं। वहीं, भारत के लोगों की तुलना में विदेशी लोगों की संख्या कई बार ज्यादा ही होती है।
 
 
• दूसरी ओर अगर कोई व्यक्ति रामेश्वरम धाम में जाकर शिव का अभिषेक करता है तो उसके साथ-साथ उसकी सात अन्य पीढ़ियों का भी भगवान पार करते हैं। यहाँ जाने से जिव को आवागमन से भी मुक्ति मिल जाती है।
 
• रामेश्वरम मंदिर के पास ही कई अन्य हिन्दू तीर्थ स्थल हैं, जैसे कि हनुमानकुंड, अमृतवाटिका और बरामतीर्थ आदि। भक्तों का यहाँ जाना भी ज़रुरी बताया गया है। भारत के तमिलनाडु राज्य के रामेश्वरम द्वीप पर और इसके आस-पास कुल मिलाकर 64 तीर्थ है। स्कंद पुराण के अनुसार, इनमे से 24 ही महत्वपूर्ण तीर्थ है। रामेश्वरम के इन तीर्थो में नहाना काफी शुभ माना जाता है और इन तीर्थो को भी प्राचीन समय से काफी प्रसिद्ध माना गया है।
 
इनमे से 22 तीर्थ तो केवल रामानाथस्वामी मंदिर के भीतर ही है। 22 संख्या को भगवान की 22 तीर तरकशो के समान माना गया है। मंदिर के पहले और सबसे मुख्य तीर्थ को अग्नि तीर्थं नाम दिया गया है।
 
इनमे से 22 तीर्थ तो केवल रामेश्वरम मंदिर के भीतर ही है। 22 संख्या को भगवान की 22 तीर तरकशो के समान माना गया है। मंदिर के पहले और सबसे मुख्य तीर्थ को अग्नि तीर्थं नाम दिया गया है।
 
• बताते चलें कि मंदिर के पास ही एक जगह ऐसी है जिसके बारें में कहा जाता है कि यहाँ राम और विभीषण की पहली मुलाकात हुई थी और आज इस स्थान पर मंदिर बना हुआ है। मंदिर का गोपुरम लगभग 4000 फीट लम्बा है। जिनके दोनों तरफ के स्तंभों पर बहुत ही सुंदर खुदी हुई शिल्पीकारी देखने को मिलता है।
 
 
ब्रह्मोत्सव  के उत्सव के दौरान रामनाथस्वामी मंदिर घूमने जाना सबसे बेहतरीन होता है क्योंकि इस समय त्यौहार का समय होता है और कई देशों से पर्यटक मंदिर को देखने के लिए पहुंचते हैं।  यह समय वर्ष के जून और जुलाई महीने में पड़ता है।
 
अगर हम अलंकरण के विषय में बात करें तो मंदिर में पल्लव, त्रावणकोर, रामनतपुरम, मैसूर और पुदुक्कोट्टई राज्यों का अलग-अलग रंग देखने को मिलता है।



 
भगवान राम ने शिवलिंग की स्थापना कहाँ की?

Important information

 

रामेश्वर धाम काशी पंचक्रोशी के तृतीय पड़ाव स्थल पर बसा हुआ है जहां भगवान श्रीराम द्वारा पंचक्रोशी यात्रा में आने पर वरुणा नदी के एक मुठ्ठी रेत से शिवलिंग स्थापना की थी और भगवान शिव के प्रथम पूजन श्री राम के द्वारा हुआ इसलिए इसे रामेश्वर महादेव (रामेश्वर तीर्थ धाम) के नाम से जाना जाता है।



FAQs

  1. रामेश्वरम मंदिर के बारे में क्या खास है?

    रामनाथस्वामी मंदिर शहर का सबसे उल्लेखनीय ऐतिहासिक स्थल है। शहर के केंद्र में स्थित, रामनाथस्वामी मंदिर एक प्रसिद्ध हिंदू मंदिर है जो भगवान शिव को समर्पित है। मंदिर 12 ज्योतिर्लिंग मंदिरों में से एक है, जहां शिव की पूजा एक ज्योतिर्लिंग के रूप में की जाती है जिसका अर्थ है “प्रकाश का स्तंभ”।

  2. रामेश्वरम मंदिर खुलने और बंद होने का समय क्या है ??

    सुबह के मंदिर का समय सुबह 06:00 बजे से दोपहर 12:30 बजे तक है।
    मंदिर बंद दोपहर 12:30 बजे से दोपहर 03:00 बजे तक है।
    शाम के मंदिर का समय दोपहर 03:00 बजे से शाम 7:30 बजे तक है।

  3. रामेश्वरम मंदिर निकटतम हवाई अड्डा कौन सा है ?

    लगभग 177 किलोमीटर दूर, मदुरै हवाई अड्डा रामेश्वरम से निकटतम हवाई अड्डा है। हवाई अड्डा नई दिल्ली, मुंबई, चेन्नई और हैदराबाद जैसे प्रमुख भारतीय शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।

  4. रामेश्वरम मंदिर निकटतम रेलवे स्टेशन कौन सा है ?

    (RMM)RAMESWARAM RAILWAY STATION

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