मंगल ग्रह कवच 

अथ मंगल कवचम्
 
अस्य श्री मंगलकवचस्तोत्रमंत्रस्य कश्यप ऋषिः ।
 
अनुष्टुप् छन्दः । अङ्गारको देवता ।
 
भौम पीडापरिहारार्थं जपे विनियोगः।
 
 
रक्तांबरो रक्तवपुः किरीटी चतुर्भुजो मेषगमो गदाभृत् ।
 
धरासुतः शक्तिधरश्च शूली सदा ममस्याद्वरदः प्रशांतः ॥ १ ॥
 
अंगारकः शिरो रक्षेन्मुखं वै धरणीसुतः ।
 
श्रवौ रक्तांबरः पातु नेत्रे मे रक्तलोचनः ॥ २ ॥
 
नासां शक्तिधरः पातु मुखं मे रक्तलोचनः ।
 
भुजौ मे रक्तमाली च हस्तौ शक्तिधरस्तथा ॥ ३ ॥
 
वक्षः पातु वरांगश्च हृदयं पातु लोहितः।
 
कटिं मे ग्रहराजश्च मुखं चैव धरासुतः ॥ ४ ॥
 
जानुजंघे कुजः पातु पादौ भक्तप्रियः सदा ।
 
सर्वण्यन्यानि चांगानि रक्षेन्मे मेषवाहनः ॥ ५ ॥
 
या इदं कवचं दिव्यं सर्वशत्रु निवारणम् ।
 
भूतप्रेतपिशाचानां नाशनं सर्व सिद्धिदम् ॥ ६ ॥
 
सर्वरोगहरं चैव सर्वसंपत्प्रदं शुभम् ।
 
भुक्तिमुक्तिप्रदं नृणां सर्वसौभाग्यवर्धनम् ॥
 
रोगबंधविमोक्षं च सत्यमेतन्न संशयः ॥ ७ ॥
 
॥ इति श्रीमार्कण्डेयपुराणे मंगलकवचं संपूर्णं ॥
  
मंगल ग्रह कवच
मंगल ग्रह कवच

मंगल ग्रह कवच के लाभ

  • मंगल ग्रह कवच करने से विवाह में कोई बाधा आ रही हो तो वह बाधा दूर होती है
  • इस कवच का पाठ मंगलवार को करना शुभ होता है
  • मंगल ग्रह के अशुभ प्रभावों से बचने के लिए रोज़ तीन बार मंगल स्तोत्र का पाठ करना चाहिए
  • मंगल ग्रह कवच करने से हर काम सिद्ध हो जाता है और सब मंगल होने लगता है

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FAQ’S

  1. <strong>मंगल ग्रह कवच कितनी बार करना चाहिए?<br></strong>

    मंगल ग्रह कवच रोज़ तीन बार करना चाहिए

  2. <strong>मंगल ग्रह कवच किस दिन करना चाहिए?<br></strong>

    मंगल ग्रह कवच मंगलवार के दिन करना चाहिए


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