माता कुष्मांडा देवी कवच 

!! कवच !!
 
हसरै मे शिर: पातु कूष्माण्डे भवनाशिनीम्।
 
हसलकरीं नेत्रथ, हसरौश्च ललाटकम्॥
 
कौमारी पातु सर्वगात्रे वाराही उत्तरे तथा।
 
पूर्वे पातु वैष्णवी इन्द्राणी दक्षिणे मम।
 
दिग्दिध सर्वत्रैव कूं बीजं सर्वदावतु॥
 

 

माता कुष्मांडा देवी कवच,Kushmanda Devi Kavach
माता कुष्मांडा देवी कवच

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