केतु ग्रह कवच

अथ केतुकवचम्
 
अस्य श्रीकेतुकवचस्तोत्रमंत्रस्य त्र्यंबक ऋषिः ।
 
अनुष्टप् छन्दः । केतुर्देवता । कं बीजं । नमः शक्तिः ।
 
केतुरिति कीलकम् I केतुप्रीत्यर्थं जपे विनियोगः ॥
 
केतु करालवदनं चित्रवर्णं किरीटिनम् ।
 
प्रणमामि सदा केतुं ध्वजाकारं ग्रहेश्वरम् ॥ १ ॥
 
चित्रवर्णः शिरः पातु भालं धूम्रसमद्युतिः ।
 
पातु नेत्रे पिंगलाक्षः श्रुती मे रक्तलोचनः ॥ २ ॥
 
 
घ्राणं पातु सुवर्णाभश्चिबुकं सिंहिकासुतः ।
 
पातु कंठं च मे केतुः स्कंधौ पातु ग्रहाधिपः ॥ ३ ॥
 
हस्तौ पातु श्रेष्ठः कुक्षिं पातु महाग्रहः ।
 
सिंहासनः कटिं पातु मध्यं पातु महासुरः ॥ ४ ॥
 
ऊरुं पातु महाशीर्षो जानुनी मेSतिकोपनः ।
 
पातु पादौ च मे क्रूरः सर्वाङ्गं नरपिंगलः ॥ ५ ॥
 
 
य इदं कवचं दिव्यं सर्वरोगविनाशनम् ।
 
सर्वशत्रुविनाशं च धारणाद्विजयि भवेत् ॥ ६ ॥
 
॥ इति श्रीब्रह्माण्डपुराणे केतुकवचं संपूर्णं ॥
  
केतु ग्रह कवच,Ketu Graha Kavacham
केतु ग्रह कवच

केतु ग्रह कवच के लाभ

  • केतु ग्रह कवच का पाठ बहुत ही शक्तिशाली पाठ है
  • केतु ग्रह कवच का पाठ बहुत ही चमत्कारी पाठ है
  • इस पाठ को करने से केतु गृह शांत होता है
  • केतु ग्रह कवच का पाठ करने से केतु के दुष्प्रभाव से बचाव होता है
  • केतु ग्रह कवच का पाठ करने से हर बीमारी से निजात मिलता है
  • इस पाठ को करने से नकरात्मक ऊर्जा की समाप्ति होती है
  • केतु ग्रह कवच का पाठ रोज़ करने से केतु गृह मजबूत होता है

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FAQ’S

  1. <strong>केतु गृह की उच्च राशि कौन सी होती है?<br></strong>

    केतु गृह की उच्च राशि धनु होती है

  2. <strong>केतु किसका कारक है?<br></strong>

    केतु गृह वैराग्य, मोक्ष,आदि का कारक है


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