करवा चौथ व्रत कथा
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करवा चौथ व्रत कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन किया जाता है !
एक परिवार में साथ भाई और एक बहिन थी । सभी भाई अपनी बहन से बहुत प्यार करते थे और हमेशा इकट्ठे खाना खाते थे । जब बहन की शादी हो गई तो बहन ने करवां चौथ का व्रत रख लिया ।
जब भाई शाम को खाना खाने बैठे तो अपनी बहन को खाने की लिए बुलाया । तब बहन ने कहा कि “आज मेरे चौथ माता का व्रत है ” तब भाइयो ने सोचा की चाँद पता नही कब तक निकलेगा और उनकी बहन तो सुबह से भूखी है |
उन सबने उपाय सोचा और दूर पहाड़ पर जाकर आग जलाई और उसके आगे चालनी लगाकर चाँद बना दिया और बोले कि “बहन चाँद उग आया “वह अपनी भाभियों से बोली कि “चाँद उग आया ” तो भाभियां बोली कि ” ये चाँद आप के लिए उगा है वह भोली थी नकली चाँद के अर्ग देकर भाइयो के साथ खाना खाने बैठ गई ।
उसने जैसे ही पहला ग्रास तोडा तो उसमे बाल आ गया , दूसरा तोड़ा इतने में उसके ससुराल से बुलावा आ गया की लड़की को तुरंत ससुराल भेजो ।
जब माँ ने बेटी को विदा करने के लिए कपड़ो का बक्सा खोला तो उसमे सबसे पहले काला कपड़ा ही निकला तब माँ इसे अपशगुन मान कर बहुत डर गई ।
उसने अपनी बेटी को एक चाँदी का सिक्का देते हुए कहा कि “तुझे रास्ते में जो भी मिले उसके पैर छूती जाना और जो तुझे सुहागन होने का आशीर्वाद दे उसे ये सिक्का दे देना और अपने पल्लू पर गांठ बांध लेना” ।
बह पुरे रास्ते ऐसा ही करती गई पर किसी ने उसे सुहागन होने का आशीर्वाद नही दिया ।
जब वह अपने ससुराल पहुचीं तो बाहर उसकी जेठुती खेल रही थी उसने उसके पैर छुए तो उसने सदा सुहागन का आशीर्वाद दिया तो उसने सिक्का जेठुती को दिया और पल्लू पर गांठ बांध ली ।
जब घर के अन्दर गई तो देखा की उसका पति की मृत्यु हो चुकी है और वो घर के अन्दर पड़ा है |
जब उसके पति को जलाने के लिए ले जाने लगे तो उसने नही ले जाने दिया ।
सब गांववालों ने कहा कि बह इस लाश के साथ गाँव में नहीं रह सकती तो उसने गाँव के बाहर एक झोपडी बना ली और वह उसमे रहने लगी और अपने पति की सेवा करने लगी । रोज घर से बच्चे उसे खाना दे जाते ।
कुछ समय बाद माघ की चौथ आई तो उसने व्रत किया । रात को चौथ माता गाजती गरजती आई तो उसने माता के पैर पकड़ लिए ।
माता पैर छुड़ाने लगी बोली ” सात भाइयो की भूखी बहिन मेरे पैर छोड़ “।
जब उसने पैर नही छोड़े तो चौथ माता बोली कि ” मैं कुछ नही कर सकती मेरे से बड़ी बैशाख की चौथ आएगी उसके पैर पकड़ना ।
कुछ समय बाद बैशाख की चौथ आई तो उसने कहा कि “मैं कुछ नही कर सकती मेरे से बड़ी भादवे की चौथ आएगी उसके पैर पकड़ना ।
जब भादवे की चौथ आई तो उसने भी यही कहा कि “मैं कुछ नही कर सकती मेरे से बड़ी कार्तिक चौथ है वो ही तेरे पति को जीवन दे सकती है लेकिन वो तेरे से सुहाग का सामान मांगेगी तो तू वो सब तैयार रखना लेकिन मैंने तुझे ये सब बताया है ऐसा मत कहना “।
जब कार्तिक चौथ आई तो उसने अपने पति के लिए व्रत रखा । रात को चौथ माता आई तो उसने पैर पकड़ लिए तो माता बोली “सात भाइयो की लाड़ली भूखी बहन , घणी तिसाई ,पापिनी मेरे पैर छोड़ “।
तब वो बोली कि “माता मेरे से भूल हो गई मुझे माफ कर दो ,और मेरे पति को जीवन दान दो”।
जब उसने माता के पैर नही छोड़े तो माता बोली कि “ठीक है जो सामान मैं मांगू वो मुझे लाकर दे”।
माता ने जो सामान माँगा वो उसने लाकर दे दिया । तब चौथ माता बोली कि “तुझे ये सब किसने बताया “।
वो बोली कि ” माता मैं इस जंगल में अकेली रहती हूँ मुझे ये सब बताने यहाँ कौन आएगा “।
चौथ माता ने माँग में से सिंदूर लिया, आँख में से काजल व चिटली अंगुली से मेहँदी निकालकर उसके पति के छिटा तो उसका पति जीवित हो गया ।
माता ने उसके पति को जीवित कर दिया और सदा सुहागन का आशीर्वाद दिया ।
सुबह बच्चे जब खाना लेकर आये ,तो अपने चाचा को जीवित पाया । बच्चे दौडकर घर गये और सबको बताया कि “चाचा जीवित हो गए “। जब सब लोग वहा गए तो देखा की बच्चे सच कह रहे है ।
अपने बेटे को जीवित देखकर सास बहु के पैर पड़ने लगी तो बहु बोली “सासुजी आप ये क्या कर रही है मैंने कुछ नहीं किया ये तो चौथ माता ने किया है ” । हे चौथ माता जैसे उसको सुहाग दिया वैसे सभी को देना ।
करवा चौथ का व्रत कब है 2023 में ?
करवा चौथ का व्रत 01 नवंबर 2023 को है
करवा चौथ व्रत पूजा विधि
कार्तिक मास की चौथी तिथि वाले दिन को करवा चौथ मनाया जाता हैं ! इस दिन महिलाएं अपने पति की लम्बी उम्र के लिए इन दिन उपवास रखती हैं !
इस दिन एक करवां या गिलास लेकर उसमें चावल भरे, उसमे एक सिक्का व एक पताशा डाले व लाल कपड़े से बांध दे ।
कहानी सुनने के लिए मिट्टी से चार कोण का चोका लगाये ,चारो कोणों पर रोली से बिंदी लगाये ।
बीच मिट्टी या सुपारी से गणेश जी बनाकर रखे और रोली ,मोली व चावल से गणेशजी की पूजा करे ।
अब चोके के ऊपर करवां रखे उसपर ब्लाउज पीस रखे ,पानी का कलश ,पताशा व चाँदी की अँगूठी रखे । अपने हाथ में चार गेहू के दाने लेकर कथा सुने ।
जब चौथ की कथा सुनने के बाद जो चार गेहू के दाने है उसे तो रात में चाँद को अर्ग देने के लिए रख ले व दुसरे चार दाने लेकर गणेशजी की कहानी सुने और उसके बाद सूर्य को अर्ग दे जो चाँदी की अँगूठी हमने पूजा में रखी थी उसे भी अर्ग देते समय हाथ में ले लेवे ।
रात में चंद्रोदय होने पर जो गेहू के दाने रखे है उससे अर्ग दे व भोग लगाये । उसके बाद अपना व्रत खोले ।
एक विस्तृत तालिका है जो करवा चौथ 2023 के बारे में है:
त्योहार का नाम | करवा चौथ |
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तारीख | 1 नवंबर 2023 |
अल्टरनेट नाम | करवा चौथ, करवा चौदस |
महत्व | शादीशुदा हिन्दू महिलाओं द्वारा पति के भलाई और दीर्घायु के लिए दिन-रात उपवास किया जाने वाला |
चाँद्र मास | कार्तिक (कृष्ण पक्ष चतुर्थी) |
अवधि | दिन-रात उपवास और प्रार्थना अनुष्ठान |
उपवास की अवधि | सूर्योदय से चाँद्रोदय तक (पूर्ण उपवास) |
प्रात: पूजा | प्राभातिक भोजन (सरगी), हेना (मेहंदी) लगाना, और भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा करना |
पूजा की तैयारी | घरों की सफाई, मूर्तियों और पूजा सामग्री तैयार करना |
व्रत कथा | करवा चौथ के महत्व और इसके अनुष्ठानों का मार्गदर्शन करने वाली कथाएं |
पारंपरिक प्रसाद | मिठाई, फल, ड्राई फ्रूट्स, और अन्य वस्त्र |
उपवास तोड़ना | उपवास करने वाली महिलाएं अक्सर चाँद को देखकर तोड़ती हैं और फिर खाना खाती हैं |
चाँद का दर्शन | उपवास तोड़ने के लिए चाँद के उदय का समय महत्वपूर्ण होता है |
क्षेत्रीय विविधताएँ | क्षेत्रों के बीच आचारण और परंपराएँ भिन्न हो सकती हैं |
पॉपुलर क्षेत्र | उत्तर भारत में विशेष रूप से शादीशुदा हिन्दू महिलाओं द्वारा व्यापक रूप से अनुसरण किया जाता है |
उद्देश्य | पति के भलाई, दीर्घायुता, और खुशी की सुनिश्चिति करना |
अनुष्ठानिक योग्यता | पति और पत्नी के बीच के मजबूत बंधन का समर्थन करने का विश्वास है |
परिवारी भागीदारी | अक्सर अन्य परिवारी सदस्यों की भागीदारी के साथ यह एक परिवारी विशेष होता है |
सांस्कृतिक महत्व | मजबूत वैवाहिक बंधन और समर्पण का प्रतिबिम्ब करता है |
भक्ति का पहलू | प्रार्थना, ध्यान, और विचार के दिन |
सार्वजनिक अवकाश | सार्वजनिक अवकाश नहीं है, घरों और समुदायों में मनाया जाता है |
करवा चौथ हिन्दू संस्कृति में एक महत्वपूर्ण उपवास दिन है, जिसे शादीशुदा महिलाएं अपने पतिके भलाई और दीर्घायु के लिए भक्ति के साथ मनाती हैं।