पितृ कवच
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कृणुष्व पाजः प्रसितिम् न पृथ्वीम् याही राजेव अमवान् इभेन।
तृष्वीम् अनु प्रसितिम् द्रूणानो अस्ता असि विध्य रक्षसः तपिष्ठैः॥
तव भ्रमासऽ आशुया पतन्त्यनु स्पृश धृषता शोशुचानः।
तपूंष्यग्ने जुह्वा पतंगान् सन्दितो विसृज विष्व-गुल्काः॥
प्रति स्पशो विसृज तूर्णितमो भवा पायु-र्विशोऽ अस्या अदब्धः।
यो ना दूरेऽ अघशंसो योऽ अन्त्यग्ने माकिष्टे व्यथिरा दधर्षीत्॥
उदग्ने तिष्ठ प्रत्या-तनुष्व न्यमित्रान् ऽओषतात् तिग्महेते।
यो नोऽ अरातिम् समिधान चक्रे नीचा तं धक्ष्यत सं न शुष्कम्॥
ऊर्ध्वो भव प्रति विध्याधि अस्मत् आविः कृणुष्व दैव्यान्यग्ने।
अव स्थिरा तनुहि यातु-जूनाम् जामिम् अजामिम् प्रमृणीहि शत्रून्।
|| अग्नेष्ट्वा तेजसा सादयामि॥
पितृ कवच के लाभ
- पितृ कवच का पाठ पितरो को प्रसन करने वाला होता है
- पितृ कवच का पाठ करने से पितरो का आशीर्वाद प्राप्त होता है
- श्राद पक्ष में रोज़ इस कवच का पाठ करने से पितृ शुभ फल देते है
- अगर पितृ दोष है तोह यह कवच करने से पितृ दोष की समाप्ति होती है
- यह पाठ बहुत ही चमत्कारी है
- श्राद अमावस्या या पूर्णिमा की शाम तेल का दीपक जलाकर यह पाठ करना चाहिए
- पितृ कवच का पाठ करने से पितृ दोष से शांति मिलती है और हर संकट दूर होता है
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FAQ’S
घर में पितृ दोष का कैसे पता लगाए?<br>
पितृ दोष के कारण संतान सुख प्राप्त नहीं होताकारोबार में हानि होती हैपरिवार में हमेशा कलेश रहता हैघर में कोई न कोई बीमार रहता है
पितृ विसर्जन कब है 2022 में?<br>
पितृ विसर्जन 25 सितम्बर 2022 को है
श्राद कब है 2022 में?<br>
श्राद 10 सितंबर 2022 से 25 सितंबर 2022 तक है