कालसर्प दोष क्या है
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राहु का अधिदेवता काल है और केतु का अधिदेवता सर्प है। जन्म कुंडली में लगन से द्वादीश भाव तक इन दोनों ग्रहों के बीच में कुंडली में सभी ग्रह एक तरफ हों तो इसे कालसर्प दोष कहते हैं। राहु के जो अधि देवता है काल और प्रतयधि देवता है सर्प। काल सर्प को ऐसे भी समझा जा सकता है काल का मतलब समय से है और सर्प की चाल टेडी मेडी रहती है उसी प्रकार मनुष्य का समय भी टेड़ा मेडा रहता है। जीवन जीने के बहुत संघर्ष करना पड़ता है।
काल सर्प योग उदित और अनुदित होता है। उदित काल सर्प योग प्रभावशाली होता है और अनुदित काल सर्प योग प्रभावशाली नहीं होता | आपकी कुंडली में जैसा भी काल सर्प योग हो जाचक को भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए
कालसर्प दोष कितने प्रकार के होते हैं?
ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार कुंडली में कालसर्प दोष 12 तरह के होते है।
1. अनंत कालसर्प दोष
2. कुलिक कालसर्प दोष
3. वासुकि कालसर्प दोष
4. शंखपाल कालसर्प दोष
5. पद्म कालसर्प दोष
6. महापद्म कालसर्प दोष
7. तक्षक कालसर्प दोष
8. कर्कोटक कालसर्प दोष
9. शंखनाद कालसर्प दोष
10. घातक कालसर्प दोष
11. विषाक्त कालसर्प दोष
12. शेषनाग कालसर्प दोष
कुंडली में 12 तरह के कालसर्प दोष होने के साथ ही राहु की दशा, महादशा और अंतरदशा में अस्त-नीच या शत्रु राशि में बैठे ग्रह मारकेश या वे ग्रह जो वक्री हों, उनके चलते जातक को विकट दुखों का सामना करना पड़ता है। काल सर्प योग के चलते जातक असाधारण तरक्की भी करता है, लेकिन उसका पतन भी एकाएक ही होता है।
कालसर्प दोष को कैसे पहचानें
- हर जगह निष्फलता मिलती है, भाग्य उदय में देरी होती है।
- विधार्थी के जीवन में विद्या ग्रहण करने में दिक्कत होती है
- विवाह आधी मंगल कार्यों में वधा आती है
- नीदं काम आती है या सोने में समस्या होती है , मन अशांत रहता है
- समाज में मान सम्मान नहीं मिलता।
- प्रबल काल सर्प दोष में अकाल मृत्यु का भय रहता है।
- नजदीकी मित्रों से या सेज सम्बन्धियों से विश्वाश्घात मिलता है
- जब राहु या केतु पंचम स्थान पर है और अगर काल सर्प दोष बनता है तो संतान प्राप्ति में बहुत दिक्कत होती है।
कुंडली के 12 भाव का सम्बन्ध
१ पहला भाव लगन – शरीर से सम्बंधित
२.दूसरा भाव – धन से सम्बंधित
३.तृतीया भाव – भाई बंधू से सम्बंधित
४.चतुर भाव – सुख से सम्बंधित, माता पिता से सम्बंधित
५. पंचम भाव – विद्या और संतान से सम्बंधित
६. छठा भाव – शारीरिक रोग और शत्रु से सम्बंधित
७ सप्तम भाव – विवाह और पति,पत्नी से सम्बंधित
८ अष्टम भाव – आयु से सम्बंधित
९. नवम भाव – भाग्य से सम्बंधित
१० दशम भाव – धर्म और पिता से
११ एकादश भाव – आय से ( आमदनी से )
१२. द्वादश भाव – ब्यय से ( धन के खर्च से )
कालसर्प दोष की पूजा
हिन्दू धर्म में सावन शुक्ल पंचमी तिथि को नाग पंचमी के अवसर पर नागों की पूजा करने की परंपरा है। नागपंचमी के दिन कुंडली में कालसर्प दोष की शांति या उससे मुक्ति के लिए भी पूजा कराई जाती है। और या आप निम्न मन्त्रों का प्रयोग करके अपनी कुण्डी में काल सर्प योग से मुक्ति पा सकते हैं।
१. सर्प मंत्र- ॐ नागदेवताय नम:
नाग गायत्री मंत्र- ॐ नवकुलाय विद्यमहे विषदंताय धीमहि तन्नो सर्प: प्रचोदयात्
२. राहु मंत्र : ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं स: राहवे नम:
केतु मंत्र : ॐ स्त्रां स्त्रीं स्त्रौं स: केतवे नम:।
३. भगवान शिव की शिवलिंग पूजा करें , महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें और एक छोटे चांदी,ताम्बे या पीतल के नाग की प्रतिष्ठा करवाकर शिवलिंग पर चढ़ा देने से काल सर्प दोष से मुक्ति मिलती है।
कालसर्प दोष मंत्र Kaal Sarp Dosh Mantra
सर्प बीज मंत्र Kaal Sarp Beej Mantra
नाग गायत्री मंत्र Naag Gayatri Mantra
कालसर्प दोष निवारण मंत्र
कालसर्प दोष के निवारण
जिन जाचकों की जन्म कुंडली में कालसर्प दोष होता है और जब भी उनके जीवन में राहु अथवा केतु की महादशा आती है। उस अवधि में उन्हें कठिन समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इस अवधि में जाचक को कालसर्प दोष की शांति के उपाय अवश्य करते रहना चाहिए।
हमेशा कालसर्प योग बुरा नहीं होता कभी कभी कालसर्प योग आपके भाग्य उदय का कारन भी बन सकता है। कालसर्प दोष से हमेशा डरने की आवश्यकता नहीं है। आप किसी विद्वान आचार्य, पंडित या ज्योतिषी से मिलकर कालसर्प दोष के स्वरूप को जाने और उसी के अनुसार इसका कालसर्प दोष निवारण हेतु कार्य करें।
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FAQs
काल सर्प दोष की पूजा कहा होती है?
त्रंबकेश्वर नासिक या उज्जैन आदि तीर्थ क्षेत्रों में कालसर्प पूजा कराने से कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है।
कालसर्प दोष के लिए कुंडली में कौन से ग्रह प्रभावित करते है?
राहु और केतु