श्री दुर्गा स्तुति || Shri Durga Stuti || Devi Durga Stuti
हे सिंहवाहिनी,
शक्तिशालिनी,
कष्टहारिणी माँ दुर्गे।
महिषासुरमर्दिनि,
भव भय भंजनि,
शक्तिदायिनी माँ दुर्गे।
तुम निर्बल की रक्षक,
भक्तों का बल विश्वास बढ़ाती हो
दुष्टों पर बल से विजय प्राप्त करने का पाठ पढ़ाती हो।
हे जगजननी, रणचण्डी,
रण में शत्रुनाशिनी माँ दुर्गे।
जग के कण-कण में
महाशक्ति की व्याप्त अमर तुम चिंगारी
दृढ़ निश्चय की निर्भय प्रतिमा,
जिससे डरते अत्याचारी।
हे शक्ति स्वरूपा,
विश्ववन्द्य, कालिका, मानिनि माँ दुर्गे।
तुम परब्रम्ह की परम ज्योति
दुष्टों से जग की त्राता हो
पर भावुक भक्तों की कल्याणी परमवत्सला माता हो।
निशिचर विदारिणी,
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