श्री राम अष्टकम
Table of Contents
भजे विशेषसुन्दरं समस्तपापखण्डनम् ।
स्वभक्तचित्तरञ्जनं सदैव राममद्वयम् ॥ १ ॥
जटाकलापशोभितं समस्तपापनाशकं ।
स्वभक्तभीतिभञ्जनं भजे ह राममद्वयम् ॥ २ ॥
निजस्वरूपबोधकं कृपाकरं भवापहम् ।
समं शिवं निरञ्जनं भजे ह राममद्वयम् ॥ ३ ॥
सहप्रपञ्चकल्पितं ह्यनामरूपवास्तवम् ।
निराकृतिं निरामयं भजे ह राममद्वयम् ॥ ४ ॥
निष्प्रपञ्चनिर्विकल्पनिर्मलं निरामयम् ।
चिदेकरूपसन्ततं भजे ह राममद्वयम् ॥ ५ ॥
भवाब्धिपोतरूपकं ह्यशेषदेहकल्पितम् ।
गुणाकरं कृपाकरं भजे ह राममद्वयम् ॥ ६ ॥
महावाक्यबोधकैर्विराजमानवाक्पदैः ।
परं ब्रह्मसद्व्यापकं भजे ह राममद्वयम् ॥ ७ ॥
शिवप्रदं सुखप्रदं भवच्छिदं भ्रमापहम् ।
विराजमानदेशिकं भजे ह राममद्वयम् ॥ ८ ॥
रामाष्टकं पठति यस्सुखदं सुपुण्यं ।
व्यासेन भाषितमिदं शृणुते मनुष्यः ॥ ९ ॥
विद्यां श्रियं विपुलसौख्यमनन्तकीर्तिं ।
संप्राप्य देहविलये लभते च मोक्षम् ॥ १० ॥
श्री राम अष्टकम के लाभ
- श्री राम अष्टकम का पाठ करने से भगवान श्री राम जी का आशीर्वाद प्राप्त होता है
- श्री राम अष्टकम का पाठ करने से सब पापो से मुक्ति मिलती है
- यह पाठ बहुत चमत्कारी होता है
- इस पाठ को करने से सब दुखो का अंत होता है
- यह पाठ करने से नकारात्मक ऊर्जा का अंत होता है
- श्री राम अष्टकम का पाठ करने से सब दुखो का अंत होता है
- यह पाठ करने से मन को बहुत शांति मिलती है
यह भी जरूर पढ़े:-
- श्री रामचंद्र अष्टकम
- श्री सीतारामाष्टकम्
- श्री रामाष्टकम्
- श्री राम मंगलाष्टक
- श्रीराम प्रेमाष्ट्कम
- श्री रामाष्टकम्
FAQ’S
राम भगवान जी का जन्म कब हुआ था?<br>
राम भगवान जी का जन्म त्रेता युग हुआ था
सतयुग में राम जी ने कौनसा अवतार लिया था?<br>
सतयुग में राम जी ने भगवान विष्णु जी का अवतार लिया था
श्री राम नाम कितनी बार लेना चाहिए?<br>
श्री राम नाम 108 बार लेना चाहिए