सर्प सूक्त स्तोत्र 

ब्रह्मलोकुषु ये सर्पा: शेषनाग पुरोगमा:।
 
 नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा ।।
 
 
इन्द्रलोकेषु ये सर्पा: वासुकि प्रमुखादय:। 
 
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा ।।
 
 
कद्रवेयाश्च ये सर्पा: मातृभक्ति परायणा। 
 
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा ।।
 
 
इंद्रलोकेषु ये सर्पा: तक्षका प्रमुखादय:। 
 
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा ।।
 
 
सत्यलोकेषु ये सर्पा: वासुकिना च रक्षिता। 
 
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा ।।
 
 
मलये चैव ये सर्पा: कर्कोटक प्रमुखादय:। 
 
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा ।।
 
 
पृथिव्यांचैव ये सर्पा: ये साकेत वासिता।
 
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा ।।
 
 
सर्वग्रामेषु ये सर्पा: वसंतिषु संच्छिता। 
 
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा ।।
 
 
ग्रामे वा यदिवारण्ये ये सर्पा प्रचरन्ति च। 
 
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा ।।
 
 
समुद्रतीरे ये सर्पा ये सर्पा जलवासिन:। 
 
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा ।।
 
 
रसातलेषु या सर्पा: अनन्तादि महाबला:। 
 
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा ।।
 
 
सर्प सूक्त स्तोत्र
सर्प सूक्त स्तोत्र

Leave a comment