माँ षोडशी त्रिपुर सुन्दरी स्तोत्र 

कदम्ब वन चारिणी मुनि कदम्ब कदम्ब कादम्बिनी, नितम्ब जित भूधरा सुर नितम्बिनी सेवितां |
 
 
 
नवाम्बू रूह्लोचना ममि नवाम्बुदः श्यामला, त्रिलोचन कुटुम्बिनी त्रिपुर सुंदरी माश्रये |1|
 
 
कदम्ब वन वासिनी कनक बल्लकी धारिणी, महा मणि हारिणी मुखसमुल्ल शद्वारूणी| 
 
 
दया विभव कारिणी विशद लोचनी चारिणी, त्रिलोचन कुटुम्बिनी त्रिपुर सुंदरी माश्रये |2|
 
 
कदम्ब वन शालया कुच भशेल्ल सन्मालया, कुचोपमित शैलया गुरुकृपाल्लश द्वेलया | 
 
 
भदारुण कपोलया मधुर गीत वाचालया , कयापि घन नीलया कवचिता वय लीलया |3| 
 
 
कदम्ब वन मध्यगा कनक मण्डलो पस्यितां, खड़म्बु रूह वासिनी सतत शिद्ध सौदामिनिम | 
 
 
विडम्तित जपारुचिं विक चन्यंद्र चूड़ामिणी, त्रिलोचन कुटुम्बिनी त्रिपुर सुंदरी माश्रये |4| 
 
 
कुचांचित विपंचिका कुटिल कुन्तला लंकृतां, कुशेशय निवाशिनी कुटिलचित्त विद्वेशिणी |
 
 
मदरूण विलोचनां मनसिजारी सम्मोहिनिमा, मतंग मुनिकन्यकां मधुर भाषिणी माश्रये |5|
 
 
स्मरेत्प्रथम पुष्पिणी रुधिर विन्दुनीलाम्बरा, गृहीत माधुपत्रिका मधु विधुर्ण नेत्रान्चालां |
 
 
घनस्तन भरोन्नता पलित चुलिकां श्यामला, त्रिलोचन कुटुम्बिनी त्रिपुर सुंदरी माश्रये |6|
 
 
सुकुंकुम विलेपनां मालक चुम्बि कस्तूरिकां, समंद हसितेक्षणां सशरचाप पाशांकुशां | 
 
 
असेष जनमोहिनी मरूण माल्य भुषाम्बरा, जपाकुशुम भाशुरां जपविधौ स्मराम्यम्बिकाम |7| 
 
 
पुरंदर पुरान्ध्रिका चिकुरबंध सौरंध्रिका, पितामह पतिव्रतां पटुपटीर चचरितां | 
 
 
मुकुंद रमणी मणि भश्दलंक्रिया कारिणी, भजामि भुवनम्बिकां सुखधुटिका चोटिकाम |8| 
 
 
इति श्रीमत परमहंश पारीब्राजकाचार्य श्री मवशंकराचार्य विरचितं त्रिपुर सुंदरी स्तोत्रं सम्पूर्णं ||
 

 

 
माँ षोडशी त्रिपुर सुन्दरी स्तोत्र
माँ षोडशी त्रिपुर सुन्दरी स्तोत्र

Leave a comment