केतु स्तोत्र 

केतु: काल: कलयिता धूम्रकेतुर्विवर्णक:।
 
लोककेतुर्महाकेतु: सर्वकेतुर्भयप्रद: ।।1।।
 
 
रौद्रो रूद्रप्रियो रूद्र: क्रूरकर्मा सुगन्ध्रक्।
 
फलाशधूमसंकाशश्चित्रयज्ञोपवीतधृक् ।।2।।
 
 
तारागणविमर्दो च जैमिनेयो ग्रहाधिप:।
 
पंचविंशति नामानि केतुर्य: सततं पठेत् ।।3।।
 
 
तस्य नश्यंति बाधाश्चसर्वा: केतुप्रसादत:।
 
धनधान्यपशूनां च भवेद् व्रद्विर्नसंशय: ।।4।।
 
 
केतु स्तोत्र ,ketu stotra
केतु स्तोत्र

केतु स्तोत्र के लाभ

  • केतु ग्रह को सभी सुखों का स्वामी माना जाता है।
  • गणेश जी को केतु का देवता माना जाता है
  • केतु स्तोत्र का पाठ करने से मनुष्य के जीवन में सुख समृद्धि का वास होता है
  • केतु स्तोत्र का पाठ बुधवार के दिन करना चाहिए
  • केतु गृह दोष निवारण के लिए आप लहसुनिया रतन धारण कर सकते है इस से केतु गृह के दुष्ट प्रभावों से बचा जा सकता है

यह भी जरूर पढ़ें:-


FAQ’S

  1. केतु गृह के देवता कौन है?<br>

    केतु गृह के देवता गणेश जी है

  2. केतु गृह के लिए दान किस दिन करे?<br>

    केतु गृह के लिए दान बुधवार के दिन करना चाहिए

  3. केतु गृह को शांत करने का क्या उपाय है?<br>

    केतु ग्रह को शांत करने के लिए बुधवार के दिन गणेश जी की पूजा अर्चना करे और काले रंग की गाय को चारा खिलाये


केतु स्तोत्र PDF


Leave a comment