विपश्यना की ध्यान-विधि एक ऐसा सरल एव कारगर उपाय है| जिससे मन को शांति प्राप्‍त होती है और एक सुखी, उपयोगी जीवन बिताना संभव हो जाता है। 

व्यस्त जीवनशैली के चलते शारीरिक-मानसिक थकान होना स्वाभाविक है। इससे बचने में ध्यान बहुत मददगार होता है।

अगर आप अपने भीतर छिपी नकारात्मक बातों को बाहर निकालना चाहते हैं, तो अपनी खामियों को पहचान कर उन्हें बाहर निकालने की कोशिश करनी चाहिए।

विपश्यना भारत की एक अत्यंत पुरातन साधना की  एक ध्यान प्रणाली विधि है जिसका अर्थ जो जैसा है, उसे ठीक वैसा ही देखना-समझना है। 

विपश्यना आत्मदर्शन की महाविद्या विपश्यना एक आत्मदर्शन की विद्या है। 

जिसका अभ्यास करते –करते धीरे-धीरे हमारे नये संस्कार बनना बन्द हो जाते है और फिर पुराने संस्कार भी धीरे-धीरे क्षीण हो जाते है|

इस तरह समता में स्थित होकर आप मुक्ति को प्राप्त कर लेते हैं।

Vipassana Meditation in hindi

विपश्यना के मेडीटेसन सेन्टर्स – Vipassana Meditation Center 

World = 199 centres
Asia = 147 Centres
India = 88 Centres 

इसे गौतम बुद्ध ने विकसित की थी यह विद्या गौतम बुद्ध से पूर्व भी लगभग 7000 वर्ष पूर्व भारत के योगियों के पास मौजूद थी। 

लगभग 2500 वर्ष पूर्व भारत में यह पद्धति एक सार्वजनीन रोग के सार्वजनीन इलाज, अर्थात् जीवन जीने की कला, के रूप में सिखाया गया। 

बुद्ध के जाने के बाद लगभग 500 साल बाद विपश्यना भारत से लुप्‍त हो गई। 

दूसरे देशों मे भी इसकी शुद्धता नष्ट हो गई।  केवल बर्मा मे इस विधि के प्रति समर्पित आचार्यों की एक कड़ी के कारण यह कायम रह पाई। 

पिछले दो हजार साल मे वहां के आचार्यों की परंपरा ने पीढ़ी-दर-पीढ़ी इस ध्यान-विधि को बनाए रखा। 

इसी परंपरा के प्रख्यात आचार्य सयाजी ऊ बा खिन ने लोगों को विपश्यना सिखलाने के लिए सन् 1969 मे श्री सत्यनारायण गोयन्का को अधिकृत किया था।

सत्यनारायण गोयनका के प्रयत्नों से केवल भारत के ही नहीं, बल्कि 80 से भी अधिक अन्य देशों के लोगों को भी फिर से विपश्यना का लाभ मिलने लगा है।

साल 1971 मे सत्यनारायण गोयनका ने अपने प्राण त्यागा था।  उनकी प्रबल इच्छा थी कि विपश्यना अपनी मातृभूमि भारत मे लौटे और लोगों को अपनी अनेकानेक समस्याओं को सुलझाने में सहायता करे।

समय के साथ यह विद्या विलुप्त होती चली गयी। 

भगवान् गौतम बुद्ध ने अपने प्रयासो से इसे एक नया जीवन दिया और इस महान विद्या को सब जन तक पहुँचाने का संकल्प लिआ और जीवन भर इसी संकल्प के साथ रहे! 

इस विद्या में साधक अपनी साँसो के आवागमन पर ध्यान देते हुए धीरे-धीरे अपने समस्त संस्कारो को क्षीण कर मुक्ति को प्राप्त करता है। 

इसमें सांस को इतनी ज्यादा अहमियत इसीलिए दी जाती है, क्योंकि यही हमारा जीवन है। 

सांस अनेक अर्थों में महत्वपूर्ण है।  यह तो आपने भी महसूस किया होगा कि क्रोध और करुणा जैसी अलग-अलग मन:स्थितियों में सांस अलग-अलग ढंग से चलती है। 

इसी तरह दौडऩे या चलने जैसी शारीरिक क्रियाओं के दौरान भी सांसों की गति तेज और धीमी होती रहती है।

विपश्यना के हर मेडिटेशन ( Meditation ) सेन्टर्स में निम्न लिखित दिनचर्या का पालन होता है

4.00 AM – सुबह जागने का समय 

4.30 AM TO 6.30 AM – धम्मा हॉल में मेडिटेशन का समय

6.30 AM TO 7.15 AM – नाश्ते का समय 

7.15 AM TO 8.00 AM – सुबह के विश्राम का समय 

8.00 AM TO 9.00 AM – धम्मा हॉल में मेडिटेशन का समय 

9.00 AM TO 11.00 AM – धम्मा हॉल में मेडिटेशन (1 घंटा पूरा होने पर 5- मिनट का विश्राम )

11.00 AM TO 11.45 AM – भोजन

11.45 AM TO 1.00 PM – विश्राम

1.00 PM TO 2.10 PM- धम्मा हॉल में मेडिटेशन

2.10 PM TO 2.30 PM – विश्राम

2.30 PM TO 3.30 PM – धम्मा हॉल में मेडिटेशन

3.30 PM TO 5.00 PM – धम्मा हॉल में मेडिटेशन (1 घंटा पूरा होने पर 5- मिनट का विश्राम )

5.00 PM TO 5.30 PM – चाय नाश्ता/जलपान का समय 

5.30 PM TO 6.00 PM – टहलना या  विश्राम का समय 

6.00 PM TO 7.00 PM – धम्मा हॉल में मेडिटेशन

7.00 PM TO 8.30 PM – Video Lecture By Shri S. N. Goyenka

8.30 PM TO 9.00 PM – धम्मा हॉल में विपश्यना मेडिटेशन ( ध्यान लगाना )

9.00 PM TO 9.30 PM – प्रश्नोत्तर बेला/Question Answer Period

9.30 PM – रात्रि विश्राम करने का समय 

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Vipassana Meditation

विपश्यना मेडिटेशन सेन्टर के नियम व शर्ते – Rules in Vipassana Meditation Center 

अगर आप विपश्यना मेडिटेशन सेन्टर पर मेडिटेशन के लिए जाते है ,तो आपको कुछ नियमो का पालन करना होगा जो इस प्रकार हैं–

विपश्यना के पांच सिद्धांत – पांच सिद्धांत विपश्यना मेडिटेशन ध्यान का अहम हिस्सा है। 

इनमें किसी भी प्रकार की जीव-हिंसा न करना, चोरी से दूर रहना, ब्रह्मचर्य का पालन करना, अपशब्दों का प्रयोग न करना तथा नशे आदि से दूर रहना शामिल हैं।

विपश्यना करने की विधि – How to do Vipassana

विपश्यना  का अभ्यास करने के लिए सबसे जरूरी है कि उसके लिए आप पूरी मनोस्थिति के साथ तैयार हो जाएं। 

इसमें ध्यान की अवस्था में बैठकर अपने सांसों पर ध्यान केंद्रित करें। सांसों के आने जाने पर ध्यान लगाएं। 

सांस आपकी नाक के छिद्रों से अंदर आ रहा है और फिर बाहर जा रहा है, ऐसा महसूस करें। 

जैसे सांसों के आने-जाने को स्वाभाविक रूप से देखें या महसूस करें कि ये सांस छोड़ी और ये ली।

सांस लेने और छोड़ने के बीच जो गैप है, उस पर भी सहजता से ध्यान दें। जब सांस आप अंदर खींचते हैं तब आपका पेट फूल जाता है, जब छोड़ते हैं तो पेट पिचकता है। 

इस तरह से अपने ध्यान को अपने सांसों पर केंद्रित करने की कोशिश करें। 

नियमित रूप से इसका अभ्यास करने पर कुछ ही दिन बाद आपको इसका असर महसूस होने लगेगा।

विपश्यना कैसे करे – 10 Days Vipassana Meditation Course

  1. पहला दिन :  अपनी आती विपश्यना कैसे करेजाती स्वाभाविक साँस पर ध्यान देना। ( आनापाना साधना)
  2. दूसरा दिन : अपनी आती जाती स्वाभाविक साँस पर ध्यान देना।  नाक के किस सुरसे साँस अन्दर आ रही दाँये से बाँये से या फिर दोनो से। इस पर ध्यान देंगे।( आनापाना साधना)
  3. तीसरा दिन : अपनी आती जाती स्वाभाविक साँस पर ध्यान देना।  नाक के किस सुर से साँस अन्दर आ रही दाँये से बाँये से या फिर दोनो से। इस पर ध्यान देंगे।  नाक के अन्दर साँस कहाँ-कहाँ टकरा रही है, इस पर ध्यान देंगे। सम्पुर्ण नाक मे होने संवेदनाओ पर ध्यान देंगे।( आनापाना साधना)
  4. चौथा दीन :  अपनी मूछ वाली जगह पर होने वाली संवेदनाओ पर सारा ध्यान देना।( आनापाना साधना)
  5. पांचवा दिन : विपश्यना की दीक्षा। अपने सिर से लेकर पैर तक शरीर के प्रत्येक अंग मे से अपना मन गुजारना और उसमें होने वाली संवेदनओ पर ध्यान देना। 
  6. छठा दिन : अपने सिर से लेकर पैर तक शरीर के प्रत्येक अंग मे से एक-एक करके अपना मन गुजारना और उसमें होने वाली संवेदनओ पर ध्यान देना।(विपश्यना साधना)
  7. सातवां दिन :  अपने सिर से लेकर पैर तक और अपने पैर से लेकर सिर तक शरीर के प्रत्येक अंग मे से अपना मन गुजारना और उसमें होने वाली संवेदनओ पर ध्यान देना। (विपश्यना साधना)
  8. आठवां दिन : अपने शरीर के कई अंगो में से एक साथ अपने मन को गुजारना और उसमें होने वाली संवेदनओ पर ध्यान देना।(विपश्यना साधना)
  9. नौंवा दिन :  अपने सारे शरीर में एक साथ एक जैसी संवेदनाओ की धारा प्रवाह का अनुभव करना।
  10. दंसवा दिन :  अपने शरीर के भीतरी अंगो में से भी अपने मन को गुजारते हुए होने वाली संवेदनाओ पर ध्यान देना। 

अपनी रीढ की हड्डी में से अपना मन नीचे से ऊपर गुजारते हुए होने वाली संवेदनाओ पर ध्यान देना।  ध्यान देने योग्य बातें :  संवेदनाये अच्छी भी होंगी और बुरी भी। 

आपको न तो अच्छी को साथ राग करना है और न बुरी के साथ द्वेश।  आपको समता बनाये रखनी है और जानना है कि ये सारी संवेदनायें अनित्य (Impermanent) है। समस्यायें और परेशानियाँ जो लोग महसूस करते है 

दोस्तो आपको इन 10 दिन में कई तरीके की समस्यायें भी आयोंगी, पर आपको इन सबका दृढ़ निश्चय  कर सामना करना होगा और बाद में सब कुछ ठीक हो जाता है।

इसके लिए आवेदन कैसे करें – How to Apply for Vipassana Meditation Course


यह मेडिटेशन पूरी तरह निशुल्क (Free) है। आप से इसके लिए कोई पैसा नही लिया जाता है।

विपश्यना के हर विपश्यना मेडिटेशन सेन्टर वेबसाइट की अपनी एक Website है।

आप उस पर जायें और 10 –Days Course for New Student चुनेंऔर अपना Form भर दें और  फिर आपके पास आपकी सीट Confirm होने का e – mail आ जायेगा|

जिसमें एक letter attached होगा, इस letter का print लेकर आपको निश्चित तारीख पर विपश्यना मेडिटेशन सेन्टर चले जाएं !

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विपश्यना के फायदे

कब करें विपश्यना मेडिटेशन – विपश्यना मेडिटेशन सुबह और शाम दोनों वक्त किया जा सकता है। 

एक घंटा सुबह और एक घंटा शाम को इसका अभ्यास करना काफी लाभकारी होता है। 

सोने से पांच मिनट पहले और उठने के पांच मिनट बाद भी इसका अभ्यास अच्छा माना जाता है।

गौतम बुद्ध द्वारा बताई गई इस साधना को एक बार अपने जीवन में उतार कर देखें, निश्चित रूप से आपको अपने भीतर सकारात्मक बदलाव महसूस होगा। 

इसे नियमित रूप से देखते-देखते ही आपके सारे रोग दूर हो जाएंगे है। 

शरीर के रोगों के साथ-साथ आपका मन भी शांत हो जाएगा। तन-मन को सुकून पहुंचाती है चमत्कारिक विपश्यना


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