हिन्दू धर्म के आराध्य देवी और देवता – Hindu God and Goddess list of 108 Names

हिन्दू धर्म के आराध्य देवी और देवता  – Hindu Gods list










    गणेश नामवली-108 (108 Names of lord Ganesha)



    1. बालगणपति : सबसे प्रिय बालक
    2. भालचन्द्र : जिसके मस्तक पर चंद्रमा हो
    3. बुद्धिनाथ : बुद्धि के भगवान
    4. धूम्रवर्ण : धुंए को उड़ाने वाला
    5. एकाक्षर : एकल अक्षर
    6. एकदन्त : एक दांत वाले
    7. गजकर्ण : हाथी की तरह आंखें वाला
    8. गजानन : हाथी के मुख वाले भगवान
    9. गजनान : हाथी के मुख वाले भगवान
    10. गजवक्र : हाथी की सूंड वाला
    11. गजवक्त्र : जिसका हाथी की तरह मुँह है
    12. गणाध्यक्ष : सभी गणों के मालिक
    13. गणपति : सभी गणों के मालिक
    14. गौरीसुत : माता गौरी के पुत्र
    15. लम्बकर्ण : बड़े कान वाले
    16. लम्बोदर : बड़े पेट वाले
    17. महाबल : बलशाली
    18. महागणपति : देवो के देव
    19. महेश्वर : ब्रह्मांड के भगवान
    20. मंगलमूर्त्ति : शुभ कार्य के देव
    21. मूषकवाहन : जिसका सारथी चूहा
    22. निदीश्वरम : धन और निधि के दाता
    23. प्रथमेश्वर : सब के बीच प्रथम आने वाले
    24. शूपकर्ण : बड़े कान वाले
    25. शुभम : सभी शुभ कार्यों के प्रभु
    26. सिद्धिदाता : इच्छाओं और अवसरों के स्वामी
    27. सिद्दिविनायक : सफलता के स्वामी
    28. सुरेश्वरम : देवों के देव
    29. वक्रतुण्ड : घुमावदार सूंड
    30. अखूरथ : जिसका सारथी मूषक है
    31. अलम्पता : अनन्त देव
    32. अमित : अतुलनीय प्रभु
    33. अनन्तचिदरुपम : अनंत और व्यक्ति चेतना
    34. अवनीश : पूरे विश्व के प्रभु
    35. अविघ्न : बाधाओं को हरने वाले
    36. भीम : विशाल
    37. भूपति : धरती के मालिक
    38. भुवनपति : देवों के देव
    39. बुद्धिप्रिय : ज्ञान के दाता
    40. बुद्धिविधाता : बुद्धि के मालिक
    41. चतुर्भुज : चार भुजाओं वाले
    42. देवादेव : सभी भगवान में सर्वोपरी
    43. देवांतकनाशकारी : बुराइयों और असुरों के विनाशक
    44. देवव्रत : सबकी तपस्या स्वीकार करने वाले
    45. देवेन्द्राशिक : सभी देवताओं की रक्षा करने वाले
    46. धार्मिक : दान देने वाला
    47. दूर्जा : अपराजित देव
    48. द्वैमातुर : दो माताओं वाले
    49. एकदंष्ट्र : एक दांत वाले
    50. ईशानपुत्र : भगवान शिव के बेटे
    51. गदाधर : जिसका हथियार गदा है
    52. गणाध्यक्षिण : सभी पिंडों के नेता
    53. गुणिन : जो सभी गुणों के ज्ञानी
    54. हरिद्र : स्वर्ण के रंग वाला
    55. हेरम्ब : माँ का प्रिय पुत्र
    56. कपिल : पीले भूरे रंग वाला
    57. कवीश : कवियों के स्वामी
    58. कीर्त्ति : यश के स्वामी
    59. कृपाकर : कृपा करने वाले
    60. कृष्णपिंगाश : पीली भूरि आंख वाले
    61. क्षेमंकरी : माफी प्रदान करने वाला
    62. क्षिप्रा : आराधना के योग्य
    63. मनोमय : दिल जीतने वाले
    64. मृत्युंजय : मौत को हरने वाले
    65. मूढ़ाकरम : जिनमें खुशी का वास होता है
    66. मुक्तिदायी : शाश्वत आनंद के दाता
    67. नादप्रतिष्ठित : जिसे संगीत से प्यार हो
    68. नमस्थेतु : सभी बुराइयों और पापों पर विजय प्राप्त करने वाले
    69. नन्दन : भगवान शिव का बेटा
    70. सिद्धांथ : सफलता और उपलब्धियों की गुरु
    71. पीताम्बर : पीले वस्त्र धारण करने वाला
    72. प्रमोद : आनंद
    73. पुरुष : अद्भुत व्यक्तित्व
    74. रक्त : लाल रंग के शरीर वाला
    75. रुद्रप्रिय : भगवान शिव के चहीते
    76. सर्वदेवात्मन : सभी स्वर्गीय प्रसाद के स्वीकर्ता
    77. सर्वसिद्धांत : कौशल और बुद्धि के दाता
    78. सर्वात्मन : ब्रह्मांड की रक्षा करने वाला
    79. ओमकार : ओम के आकार वाला
    80. शशिवर्णम : जिसका रंग चंद्रमा को भाता हो
    81. शुभगुणकानन : जो सभी गुण के गुरु हैं
    82. श्वेता : जो सफेद रंग के रूप में शुद्ध है
    83. सिद्धिप्रिय : इच्छापूर्ति वाले
    84. स्कन्दपूर्वज : भगवान कार्तिकेय के भाई
    85. सुमुख : शुभ मुख वाले
    86. स्वरुप : सौंदर्य के प्रेमी
    87. तरुण : जिसकी कोई आयु न हो
    88. उद्दण्ड : शरारती
    89. उमापुत्र : पार्वती के बेटे
    90. वरगणपति : अवसरों के स्वामी
    91. वरप्रद : इच्छाओं और अवसरों के अनुदाता
    92. वरदविनायक : सफलता के स्वामी
    93. वीरगणपति : वीर प्रभु
    94. विद्यावारिधि : बुद्धि की देव
    95. विघ्नहर : बाधाओं को दूर करने वाले
    96. विघ्नहर्त्ता : बुद्धि की देव
    97. विघ्नविनाशन : बाधाओं का अंत करने वाले
    98. विघ्नराज : सभी बाधाओं के मालिक
    99. विघ्नराजेन्द्र : सभी बाधाओं के भगवान
    100. विघ्नविनाशाय : सभी बाधाओं का नाश करने वाला
    101. विघ्नेश्वर : सभी बाधाओं के हरने वाले भगवान
    102. विकट : अत्यंत विशाल
    103. विनायक : सब का भगवान
    104. विश्वमुख : ब्रह्मांड के गुरु
    105. विश्वराजा : संसार के स्वामी
    105. यज्ञकाय : सभी पवित्र और बलि को स्वीकार करने वाला
    106. यशस्कर : प्रसिद्धि और भाग्य के स्वामी
    107. यशस्विन : सबसे प्यारे और लोकप्रिय देव


    108. योगाधिप : ध्यान के प्रभु











    भगवान शिव के 108 नाम (108 Names of Lord Shiva in Hindi) 



    1.शिव – कल्याण स्वरूप
    2.महेश्वर – माया के अधीश्वर
    3.शम्भू – आनंद स्वरूप वाले
    4.पिनाकी – पिनाक धनुष धारण करने वाले
    5.शशिशेखर – चंद्रमा धारण करने वाले
    6.वामदेव – अत्यंत सुंदर स्वरूप वाले
    7.विरूपाक्ष – विचित्र अथवा तीन आंख वाले
    8.कपर्दी – जटा धारण करने वाले
    9.नीललोहित – नीले और लाल रंग वाले
    10.शंकर – सबका कल्याण करने वाले
    11.शूलपाणी – हाथ में त्रिशूल धारण करने वाले
    12.खटवांगी- खटिया का एक पाया रखने वाले
    13.विष्णुवल्लभ – भगवान विष्णु के अति प्रिय
    14.शिपिविष्ट – सितुहा में प्रवेश करने वाले
    15.अंबिकानाथ- देवी भगवती के पति
    16.श्रीकण्ठ – सुंदर कण्ठ वाले
    17.भक्तवत्सल – भक्तों को अत्यंत स्नेह करने वाले
    18.भव – संसार के रूप में प्रकट होने वाले
    19.शर्व – कष्टों को नष्ट करने वाले
    20.त्रिलोकेश- तीनों लोकों के स्वामी
    21.शितिकण्ठ – सफेद कण्ठ वाले
    22.शिवाप्रिय – पार्वती के प्रिय
    23.उग्र – अत्यंत उग्र रूप वाले
    24.कपाली – कपाल धारण करने वाले
    25.कामारी – कामदेव के शत्रु, अंधकार को हरने वाले
    26.सुरसूदन – अंधक दैत्य को मारने वाले
    27.गंगाधर – गंगा को जटाओं में धारण करने वाले
    28.ललाटाक्ष – माथे पर आंख धारण किए हुए
    29.महाकाल – कालों के भी काल
    30.कृपानिधि – करुणा की खान
    31.भीम – भयंकर या रुद्र रूप वाले
    32.परशुहस्त – हाथ में फरसा धारण करने वाले
    33.मृगपाणी – हाथ में हिरण धारण करने वाले
    34.जटाधर – जटा रखने वाले
    35.कैलाशवासी – कैलाश पर निवास करने वाले
    36.कवची – कवच धारण करने वाले
    37.कठोर – अत्यंत मजबूत देह वाले
    38.त्रिपुरांतक – त्रिपुरासुर का विनाश करने वाले
    39.वृषांक – बैल-चिह्न की ध्वजा वाले
    40.वृषभारूढ़ – बैल पर सवार होने वाले
    41.भस्मोद्धूलितविग्रह – भस्म लगाने वाले
    42.सामप्रिय – सामगान से प्रेम करने वाले
    43.स्वरमयी – सातों स्वरों में निवास करने वाले
    44.त्रयीमूर्ति – वेद रूपी विग्रह करने वाले
    45.अनीश्वर – जो स्वयं ही सबके स्वामी है
    46.सर्वज्ञ – सब कुछ जानने वाले
    47.परमात्मा – सब आत्माओं में सर्वोच्च
    48.सोमसूर्याग्निलोचन – चंद्र, सूर्य और अग्निरूपी आंख वाले
    49.हवि – आहुति रूपी द्रव्य वाले
    50.यज्ञमय – यज्ञ स्वरूप वाले
    51.सोम – उमा के सहित रूप वाले
    52.पंचवक्त्र – पांच मुख वाले
    53.सदाशिव – नित्य कल्याण रूप वाले
    54.विश्वेश्वर- विश्व के ईश्वर
    55.वीरभद्र – वीर तथा शांत स्वरूप वाले
    56.गणनाथ – गणों के स्वामी
    57.प्रजापति – प्रजा का पालन- पोषण करने वाले
    58.हिरण्यरेता – स्वर्ण तेज वाले
    59.दुर्धुर्ष – किसी से न हारने वाले
    60.गिरीश – पर्वतों के स्वामी
    61.गिरिश्वर – कैलाश पर्वत पर रहने वाले
    62.अनघ – पापरहित या पुण्य आत्मा
    63.भुजंगभूषण – सांपों व नागों के आभूषण धारण करने वाले
    64.भर्ग – पापों का नाश करने वाले
    65.गिरिधन्वा – मेरू पर्वत को धनुष बनाने वाले
    66.गिरिप्रिय – पर्वत को प्रेम करने वाले
    67.कृत्तिवासा – गजचर्म पहनने वाले
    68.पुराराति – पुरों का नाश करने वाले
    69.भगवान् – सर्वसमर्थ ऐश्वर्य संपन्न
    70.प्रमथाधिप – प्रथम गणों के अधिपति
    71.मृत्युंजय – मृत्यु को जीतने वाले
    72.सूक्ष्मतनु – सूक्ष्म शरीर वाले
    73.जगद्व्यापी- जगत में व्याप्त होकर रहने वाले
    74.जगद्गुरू – जगत के गुरु
    75.व्योमकेश – आकाश रूपी बाल वाले
    76.महासेनजनक – कार्तिकेय के पिता
    77.चारुविक्रम – सुन्दर पराक्रम वाले
    78.रूद्र – उग्र रूप वाले
    79.भूतपति – भूतप्रेत व पंचभूतों के स्वामी
    80.स्थाणु – स्पंदन रहित कूटस्थ रूप वाले
    81.अहिर्बुध्न्य – कुण्डलिनी- धारण करने वाले
    82.दिगम्बर – नग्न, आकाश रूपी वस्त्र वाले
    83.अष्टमूर्ति – आठ रूप वाले
    84.अनेकात्मा – अनेक आत्मा वाले
    85.सात्त्विक- सत्व गुण वाले
    86.शुद्धविग्रह – दिव्यमूर्ति वाले
    87.शाश्वत – नित्य रहने वाले
    88.खण्डपरशु – टूटा हुआ फरसा धारण करने वाले
    89.अज – जन्म रहित
    90.पाशविमोचन – बंधन से छुड़ाने वाले
    91.मृड – सुखस्वरूप वाले
    92.पशुपति – पशुओं के स्वामी
    93.देव – स्वयं प्रकाश रूप
    94.महादेव – देवों के देव
    95.अव्यय – खर्च होने पर भी न घटने वाले
    96.हरि – विष्णु समरूपी
    97.पूषदन्तभित् – पूषा के दांत उखाड़ने वाले
    98.अव्यग्र – व्यथित न होने वाले
    99.दक्षाध्वरहर – दक्ष के यज्ञ का नाश करने वाले
    100.हर – पापों को हरने वाले
    101.भगनेत्रभिद् – भग देवता की आंख फोड़ने वाले
    102.अव्यक्त – इंद्रियों के सामने प्रकट न होने वाले
    103.सहस्राक्ष – अनंत आँख वाले
    104.सहस्रपाद – अनंत पैर वाले
    105.अपवर्गप्रद – मोक्ष देने वाले
    106.अनंत – देशकाल वस्तु रूपी परिच्छेद से रहित
    107.तारक – तारने वाले


    108.परमेश्वर – प्रथम ईश्वर


    हनुमान जी के 108 नाम (108 Names of Lord Hanuman in Hindi) 

    1.आंजनेया : अंजना का पुत्र
    2.महावीर : सबसे बहादुर
    3.हनूमत : जिसके गाल फुले हुए हैं
    4.मारुतात्मज : पवन देव के लिए रत्न जैसे प्रिय
    5.तत्वज्ञानप्रद : बुद्धि देने वाले
    6.सीतादेविमुद्राप्रदायक : सीता की अंगूठी भगवान राम को देने वाले
    7.अशोकवनकाच्छेत्रे : अशोक बाग का विनाश करने वाले
    8.सर्वमायाविभंजन : छल के विनाशक
    9.सर्वबन्धविमोक्त्रे : मोह को दूर करने वाले
    10.रक्षोविध्वंसकारक : राक्षसों का वध करने वाले
    11.परविद्या परिहार : दुष्ट शक्तियों का नाश करने वाले
    12.परशौर्य विनाशन : शत्रु के शौर्य को खंडित करने वाले
    13.परमन्त्र निराकर्त्रे : राम नाम का जाप करने वाले
    14.परयन्त्र प्रभेदक : दुश्मनों के उद्देश्य को नष्ट करने वाले
    15.सर्वग्रह विनाशी : ग्रहों के बुरे प्रभावों को खत्म करने वाले
    16.भीमसेन सहायकृथे : भीम के सहायक
    17.सर्वदुखः हरा : दुखों को दूर करने वाले
    18.सर्वलोकचारिणे : सभी जगह वास करने वाले
    19.मनोजवाय : जिसकी हवा जैसी गति है
    20.पारिजात द्रुमूलस्थ : प्राजक्ता पेड़ के नीचे वास करने वाले
    21.सर्वमन्त्र स्वरूपवते : सभी मंत्रों के स्वामी
    22.सर्वतन्त्र स्वरूपिणे : सभी मंत्रों और भजन का आकार जैसा
    23.सर्वयन्त्रात्मक : सभी यंत्रों में वास करने वाले
    24.कपीश्वर : वानरों के देवता
    25.महाकाय : विशाल रूप वाले
    26.सर्वरोगहरा : सभी रोगों को दूर करने वाले
    27.प्रभवे : सबसे प्रिय
    28.बल सिद्धिकर :
    29.सर्वविद्या सम्पत्तिप्रदायक : ज्ञान और बुद्धि प्रदान करने वाले
    30.कपिसेनानायक : वानर सेना के प्रमुख
    31.भविष्यथ्चतुराननाय : भविष्य की घटनाओं के ज्ञाता
    32.कुमार ब्रह्मचारी : युवा ब्रह्मचारी
    33.रत्नकुण्डल दीप्तिमते : कान में मणियुक्त कुंडल धारण करने वाले
    34.चंचलद्वाल सन्नद्धलम्बमान शिखोज्वला : जिसकी पूंछ उनके सर से भी ऊंची है
    35.गन्धर्व विद्यातत्वज्ञ, : आकाशीय विद्या के ज्ञाता
    36.महाबल पराक्रम : महान शक्ति के स्वामी
    37.काराग्रह विमोक्त्रे : कैद से मुक्त करने वाले
    38.शृन्खला बन्धमोचक: तनाव को दूर करने वाले
    39.सागरोत्तारक : सागर को उछल कर पार करने वाले
    40.प्राज्ञाय : विद्वान
    41.रामदूत : भगवान राम के राजदूत
    42.प्रतापवते : वीरता के लिए प्रसिद्ध
    43.वानर : बंदर
    44.केसरीसुत : केसरी के पुत्र
    45.सीताशोक निवारक : सीता के दुख का नाश करने वाले
    46.अन्जनागर्भसम्भूता : अंजनी के गर्भ से जन्म लेने वाले
    47.बालार्कसद्रशानन : उगते सूरज की तरह तेजस
    48.विभीषण प्रियकर : विभीषण के हितैषी
    49.दशग्रीव कुलान्तक : रावण के राजवंश का नाश करने वाले
    50.लक्ष्मणप्राणदात्रे : लक्ष्मण के प्राण बचाने वाले
    51.वज्रकाय : धातु की तरह मजबूत शरीर
    52.महाद्युत : सबसे तेजस
    53.चिरंजीविने : अमर रहने वाले
    54.रामभक्त : भगवान राम के परम भक्त
    55.दैत्यकार्य विघातक : राक्षसों की सभी गतिविधियों को नष्ट करने वाले
    56.अक्षहन्त्रे : रावण के पुत्र अक्षय का अंत करने वाले
    57.कांचनाभ : सुनहरे रंग का शरीर
    58.पंचवक्त्र : पांच मुख वाले
    59.महातपसी : महान तपस्वी
    60.लन्किनी भंजन : लंकिनी का वध करने वाले
    61.श्रीमते : प्रतिष्ठित
    62.सिंहिकाप्राण भंजन : सिंहिका के प्राण लेने वाले
    63.गन्धमादन शैलस्थ : गंधमादन पर्वत पार निवास करने वाले
    64.लंकापुर विदायक : लंका को जलाने वाले
    65.सुग्रीव सचिव : सुग्रीव के मंत्री
    66.धीर : वीर
    67.शूर : साहसी
    68.दैत्यकुलान्तक : राक्षसों का वध करने वाले
    69.सुरार्चित : देवताओं द्वारा पूजनीय
    70.महातेजस : अधिकांश दीप्तिमान
    71.रामचूडामणिप्रदायक : राम को सीता का चूड़ा देने वाले
    72.कामरूपिणे : अनेक रूप धारण करने वाले
    73.पिंगलाक्ष : गुलाबी आँखों वाले
    74.वार्धिमैनाक पूजित : मैनाक पर्वत द्वारा पूजनीय
    75.कबलीकृत मार्ताण्डमण्डलाय : सूर्य को निगलने वाले
    76.विजितेन्द्रिय : इंद्रियों को शांत रखने वाले
    77.रामसुग्रीव सन्धात्रे : राम और सुग्रीव के बीच मध्यस्थ
    78.महारावण मर्धन : रावण का वध करने वाले
    79.स्फटिकाभा : एकदम शुद्ध
    80.वागधीश : प्रवक्ताओं के भगवान
    81.नवव्याकृतपण्डित : सभी विद्याओं में निपुण
    82.चतुर्बाहवे : चार भुजाओं वाले
    83.दीनबन्धुरा : दुखियों के रक्षक
    84.महात्मा : भगवान
    85.भक्तवत्सल : भक्तों की रक्षा करने वाले
    86.संजीवन नगाहर्त्रे : संजीवनी लाने वाले
    87.सुचये : पवित्र
    88.वाग्मिने : वक्ता
    89.दृढव्रता : कठोर तपस्या करने वाले
    90.कालनेमि प्रमथन : कालनेमि का प्राण हरने वाले
    91.हरिमर्कट मर्कटा : वानरों के ईश्वर
    92.दान्त : शांत
    93.शान्त : रचना करने वाले
    94.प्रसन्नात्मने : हंसमुख
    95.शतकन्टमदापहते : शतकंट के अहंकार को ध्वस्त करने वाले
    96.योगी : महात्मा
    97.मकथा लोलाय : भगवान राम की कहानी सुनने के लिए व्याकुल
    98.सीतान्वेषण पण्डित : सीता की खोज करने वाले
    99.वज्रद्रनुष्ट :
    100.वज्रनखा : वज्र की तरह मजबूत नाखून
    101.रुद्रवीर्य समुद्भवा : भगवान शिव का अवतार
    102.इन्द्रजित्प्रहितामोघब्रह्मास्त्र विनिवारक : इंद्रजीत के ब्रह्मास्त्र के प्रभाव को नष्ट करने वाले
    103.पार्थ ध्वजाग्रसंवासिने : अर्जुन के रथ पार विराजमान रहने वाले
    104.शरपंजर भेदक : तीरों के घोंसले को नष्ट करने वाले
    105.दशबाहवे : दस्द भुजाओं वाले
    106.लोकपूज्य : ब्रह्मांड के सभी जीवों द्वारा पूजनीय
    107.जाम्बवत्प्रीतिवर्धन : जाम्बवत के प्रिय


    108.सीताराम पादसेवा : भगवान राम और सीता की सेवा में तल्लीन रहने वाले







    शनि देव के 108 नाम (108 Names of lord Shani in Hindi)





    1. शनैश्चर- धीरे- धीरे चलने वाला
    2. शान्त- शांत रहने वाला
    3. सर्वाभीष्टप्रदायिन्- सभी इच्छाओं को पूरा करने वाला
    4. शरण्य- रक्षा करने वाला
    5. वरेण्य- सबसे उत्कृष्ट
    6. सर्वेश- सारे जगत के देवता
    7. सौम्य- नरम स्वभाव वाले
    8. सुरवन्द्य- सबसे पूजनीय
    9. सुरलोकविहारिण् – सुरह्स की दुनिया में भटकने वाले
    10. सुखासनोपविष्ट – घात लगा के बैठने वाले
    11. सुन्दर- बहुत ही सुंदर
    12. घन – बहुत मजबूत
    13. घनरूप – कठोर रूप वाले
    14. घनाभरणधारिण् – लोहे के आभूषण पहनने वाले
    15. घनसारविलेप – कपूर के साथ अभिषेक करने वाले
    16. खद्योत – आकाश की रोशनी
    17. मन्द – धीमी गति वाले
    18. मन्दचेष्ट – धीरे से घूमने वाले
    19. महनीयगुणात्मन् – शानदार गुणों वाला
    20. मर्त्यपावनपद – जिनके चरण पूजनीय हो
    21. महेश – देवो के देव
    22. छायापुत्र – छाया का बेटा
    23. शर्व – पीड़ा देना वेला
    24. शततूणीरधारिण् – सौ तीरों को धारण करने वाले
    25. चरस्थिरस्वभाव – बराबर या व्यवस्थित रूप से चलने वाले
    26. अचञ्चल – कभी ना हिलने वाले
    27. नीलवर्ण – नीले रंग वाले
    28. नित्य – अनन्त एक काल तक रहने वाले
    29. नीलाञ्जननिभ – नीला रोगन में दिखने वाले
    30. नीलाम्बरविभूशण – नीले परिधान में सजने वाले
    31. निश्चल – अटल रहने वाले
    32. वेद्य – सब कुछ जानने वाले
    33. विधिरूप – पवित्र उपदेशों देने वाले
    34. विरोधाधारभूमी – जमीन की बाधाओं का समर्थन करने वाला
    35. भेदास्पदस्वभाव – प्रकृति का पृथक्करण करने वाला
    36. वज्रदेह – वज्र के शरीर वाला
    37. वैराग्यद – वैराग्य के दाता
    38. वीर – अधिक शक्तिशाली
    39. वीतरोगभय – डर और रोगों से मुक्त रहने वाले
    40. विपत्परम्परेश – दुर्भाग्य के देवता
    41. विश्ववन्द्य – सबके द्वारा पूजे जाने वाले
    42. गृध्नवाह – गिद्ध की सवारी करने वाले
    43. गूढ – छुपा हुआ
    44. कूर्माङ्ग – कछुए जैसे शरीर वाले
    45. कुरूपिण् – असाधारण रूप वाले
    46. कुत्सित – तुच्छ रूप वाले
    47. गुणाढ्य – भरपूर गुणों वाला
    48. गोचर – हर क्षेत्र पर नजर रखने वाले
    49. अविद्यामूलनाश – अनदेखा करने वालो का नाश करने वाला
    50. विद्याविद्यास्वरूपिण् – ज्ञान करने वाला और अनदेखा करने वाला
    51. आयुष्यकारण – लम्बा जीवन देने वाला
    52. आपदुद्धर्त्र – दुर्भाग्य को दूर करने वाले
    53. विष्णुभक्त – विष्णु के भक्त
    54. वशिन् – स्व-नियंत्रित करने वाले
    55. विविधागमवेदिन् – कई शास्त्रों का ज्ञान रखने वाले
    56. विधिस्तुत्य – पवित्र मन से पूजा जाने वाला
    57. वन्द्य – पूजनीय
    58. विरूपाक्ष – कई नेत्रों वाला
    59. वरिष्ठ – उत्कृष्ट
    60. गरिष्ठ – आदरणीय देव
    61. वज्राङ्कुशधर – वज्र-अंकुश रखने वाले
    62. वरदाभयहस्त – भय को दूर भगाने वाले
    63. वामन – (बौना ) छोटे कद वाला
    64. ज्येष्ठापत्नीसमेत – जिसकी पत्नी ज्येष्ठ हो
    65. श्रेष्ठ – सबसे उच्च
    66. मितभाषिण् – कम बोलने वाले
    67. कष्टौघनाशकर्त्र – कष्टों को दूर करने वाले
    68. पुष्टिद – सौभाग्य के दाता
    69. स्तुत्य – स्तुति करने योग्य
    70. स्तोत्रगम्य – स्तुति के भजन के माध्यम से लाभ देने वाले
    71. भक्तिवश्य – भक्ति द्वारा वश में आने वाला
    72. भानु – तेजस्वी
    73. भानुपुत्र – भानु के पुत्र
    74. भव्य – आकर्षक
    75. पावन – पवित्र
    76. धनुर्मण्डलसंस्था – धनुमंडल में रहने वाले
    77. धनदा – धन के दाता
    78. धनुष्मत् – विशेष आकार वाले
    79. तनुप्रकाशदेह – तन को प्रकाश देने वाले
    80. तामस – ताम गुण वाले
    81. अशेषजनवन्द्य – सभी सजीव द्वारा पूजनीय
    82. विशेषफलदायिन् – विशेष फल देने वाले
    83. वशीकृतजनेश – सभी मनुष्यों के देवता
    84. पशूनां पति – जानवरों के देवता
    85. खेचर – आसमान में घूमने वाले
    86. घननीलाम्बर – गाढ़ा नीला वस्त्र पहनने वाले
    87. काठिन्यमानस – निष्ठुर स्वभाव वाले
    88. आर्यगणस्तुत्य – आर्य द्वारा पूजे जाने वाले
    89. नीलच्छत्र – नीली छतरी वाले
    90. नित्य – लगातार
    91. निर्गुण – बिना गुण वाले
    92. गुणात्मन् – गुणों से युक्त
    93. निन्द्य – निंदा करने वाले
    94. वन्दनीय – वन्दना करने योग्य
    95. धीर – दृढ़निश्चयी
    96. दिव्यदेह – दिव्य शरीर वाले
    97. दीनार्तिहरण – संकट दूर करने वाले
    98. दैन्यनाशकराय – दुख का नाश करने वाला
    99. आर्यजनगण्य – आर्य के लोग
    100. क्रूर – कठोर स्वभाव वाले
    101. क्रूरचेष्ट – कठोरता से दंड देने वाले
    102. कामक्रोधकर – काम और क्रोध का दाता
    103. कलत्रपुत्रशत्रुत्वकारण – पत्नी और बेटे की दुश्मनी
    104. परिपोषितभक्त – भक्तों द्वारा पोषित
    105. परभीतिहर – डर को दूर करने वाले
    106. भक्तसंघमनोऽभीष्टफलद – भक्तों के मन की इच्छा पूरी करने वाले
    107. निरामय – रोग से दूर रहने वाला
    108. शनि – शांत रहने वाला









    देवी लक्ष्मी जी के 108 नाम (108 names of Goddess Lakshmi in Hindi)



    1. प्रकृती


    2.  विकृती


    3. विद्या


    4. सर्वभूतहितप्रदा


    5. श्रद्धा


    6. विभूति


    7. सुरभि


    8. परमात्मिका


    9. वाचि


    10. पद्मलया


    11. पद्मा


    12. शुचि


    13. स्वाहा


    14. स्वधा


    15. सुधा


    16. धन्या


    17. हिरण्मयी


    18. लक्ष्मी


    19. नित्यपुष्टा


    20. विभा


    21. आदित्य


    22. दित्य


    23. दीपायै


    24. वसुधा


    25. वसुधारिणी


    26. कमलसम्भवा


    27. कान्ता


    28. कामाक्षी


    29. क्ष्रीरोधसंभवा, क्रोधसंभवा


    30. अनुग्रहप्रदा


    31. बुध्दि


    32. अनघा


    33. हरिवल्लभि


    34. अशोका


    35. अमृता


    36. दीप्ता


    37. लोकशोकविनाशि


    38. धर्मनिलया


    39. करुणा


    40. लोकमात्रि


    41. पद्मप्रिया


    42. पद्महस्ता


    43. पद्माक्ष्या


    44. पद्मसुन्दरी


    45. पद्मोद्भवा


    46. पद्ममुखी


    47. पद्मनाभाप्रिया


    48. रमा


    49. पद्ममालाधरा


    50. देवी


    51. पद्मिनी


    52. पद्मगन्धिनी


    53. पुण्यगन्धा


    54. सुप्रसन्ना


    55. प्रसादाभिमुखी


    56. प्रभा


    57. चन्द्रवदना


    58. चन्द्रा


    59. चन्द्रसहोदरी


    60. चतुर्भुजा


    61. चन्द्ररूपा


    62. इन्दिरा


    63. इन्दुशीतला


    64. आह्लादजननी


    65. पुष्टि


    66. शिवा


    67. शिवकरी


    68. सत्या


    69. विमला


    70. विश्वजननी


    71. तुष्टि


    72. दारिद्र्यनाशिनी


    73. प्रीतिपुष्करिणी


    74. शान्ता


    75. शुक्लमाल्यांबरा


    76. श्री


    77. भस्करि


    78. बिल्वनिलया


    79. वरारोहा


    80. यशस्विनी


    81. वसुन्धरा


    82. उदारांगा


    83. हरिणी


    84. हेममालिनी


    85. धनधान्यकी


    86. सिध्दि


    87. स्त्रैणसौम्या


    88. शुभप्रदा


    89. नृपवेश्मगतानन्दा


    90. वरलक्ष्मी


    91. वसुप्रदा


    92. शुभा


    93. हिरण्यप्राकारा


    94. समुद्रतनया


    95. जया


    96. मंगला देवी


    97. विष्णुवक्षस्स्थलस्थिता


    98. विष्णुपत्नी


    99. प्रसन्नाक्षी


    100. नारायणसमाश्रिता


    101. दारिद्र्यध्वंसिनी


    102. देवी


    103. सर्वोपद्रव वारिणी


    104. नवदुर्गा


    105. महाकाली


    106. ब्रह्माविष्णुशिवात्मिका


    107. त्रिकालज्ञानसम्पन्ना




    108. भुवनेश्वरी







    देवी दुर्गा के 108 नाम (108 Names of Goddess Durga in Hindi) 



    1. सती  : अग्नि में जल कर भी जीवित होने वाली
    2. साध्वी : आशावादी
    3. भवप्रीता : भगवान् शिव पर प्रीति रखने वाली
    4. भवानी : ब्रह्मांड की निवास
    5. भवमोचनी :  संसार बंधनों से मुक्त करने वाली
    6. आर्या : देवी
    7. दुर्गा :  अपराजेय
    8. जया : विजयी
    9. आद्य : शुरूआत की वास्तविकता
    10. त्रिनेत्र : तीन आँखों वाली
    11. शूलधारिणी : शूल धारण करने वाली
    12. पिनाकधारिणी : शिव का त्रिशूल धारण करने वाली
    13. चित्रा : सुरम्य, सुंदर
    14. चण्डघण्टा : प्रचण्ड स्वर से घण्टा नाद करने वाली, घंटे की आवाज निकालने वाली
    15. महातपा : भारी तपस्या करने वाली
    16. मन  : मनन- शक्ति
    17. बुद्धि : सर्वज्ञाता
    18. अहंकारा : अभिमान करने वाली
    19. चित्तरूपा : वह जो सोच की अवस्था में है
    20. चिता :  मृत्युशय्या
    21. चिति : चेतना
    22. सर्वमन्त्रमयी : सभी मंत्रों का ज्ञान रखने वाली
    23. सत्ता : सत्-स्वरूपा, जो सब से ऊपर है
    24. सत्यानन्दस्वरूपिणी : अनन्त आनंद का रूप
    25. अनन्ता :  जिनके स्वरूप का कहीं अन्त नहीं
    26. भाविनी :  सबको उत्पन्न करने वाली, खूबसूरत औरत
    27. भाव्या :  भावना एवं ध्यान करने योग्य
    28. भव्या :  कल्याणरूपा, भव्यता के साथ
    29. अभव्या  : जिससे बढ़कर भव्य कुछ नहीं
    30. सदागति :  हमेशा गति में, मोक्ष दान
    31. शाम्भवी :  शिवप्रिया, शंभू की पत्नी
    32. देवमाता : देवगण की माता
    33. चिन्ता : चिन्ता
    34. रत्नप्रिया : गहने से प्यार
    35. सर्वविद्या : ज्ञान का निवास
    36. दक्षकन्या : दक्ष की बेटी
    37. दक्षयज्ञविनाशिनी : दक्ष के यज्ञ को रोकने वाली
    38. अपर्णा : तपस्या के समय पत्ते को भी न खाने वाली
    39. अनेकवर्णा : अनेक रंगों वाली
    40. पाटला : लाल रंग वाली
    41. पाटलावती : गुलाब के फूल या लाल परिधान या फूल धारण करने वाली
    42. पट्टाम्बरपरीधाना : रेशमी वस्त्र पहनने वाली
    43. कलामंजीरारंजिनी : पायल को धारण करके प्रसन्न रहने वाली
    44. अमेय : जिसकी कोई सीमा नहीं
    45. विक्रमा : असीम पराक्रमी
    46. क्रूरा : दैत्यों के प्रति कठोर
    47. सुन्दरी : सुंदर रूप वाली
    48. सुरसुन्दरी : अत्यंत सुंदर
    49. वनदुर्गा : जंगलों की देवी
    50. मातंगी : मतंगा की देवी
    51. मातंगमुनिपूजिता : बाबा मतंगा द्वारा पूजनीय
    52. ब्राह्मी : भगवान ब्रह्मा की शक्ति
    53. माहेश्वरी : प्रभु शिव की शक्ति
    54. इंद्री : इन्द्र की शक्ति
    55. कौमारी : किशोरी
    56. वैष्णवी : अजेय
    57. चामुण्डा : चंड और मुंड का नाश करने वाली
    58. वाराही : वराह पर सवार होने वाली
    59. लक्ष्मी : सौभाग्य की देवी
    60. पुरुषाकृति : वह जो पुरुष धारण कर ले
    61. विमिलौत्त्कार्शिनी : आनन्द प्रदान करने वाली
    62. ज्ञाना : ज्ञान से भरी हुई
    63. क्रिया : हर कार्य में होने वाली
    64. नित्या : अनन्त
    65. बुद्धिदा : ज्ञान देने वाली
    66. बहुला : विभिन्न रूपों वाली
    67. बहुलप्रेमा : सर्व प्रिय
    68. सर्ववाहनवाहना : सभी वाहन पर विराजमान होने वाली
    69. निशुम्भशुम्भहननी : शुम्भ, निशुम्भ का वध करने वाली
    70. महिषासुरमर्दिनि : महिषासुर का वध करने वाली
    71. मधुकैटभहंत्री : मधु व कैटभ का नाश करने वाली
    72. चण्डमुण्ड विनाशिनि : चंड और मुंड का नाश करने वाली
    73. सर्वासुरविनाशा : सभी राक्षसों का नाश करने वाली
    74. सर्वदानवघातिनी : संहार के लिए शक्ति रखने वाली
    75. सर्वशास्त्रमयी : सभी सिद्धांतों में निपुण
    76. सत्या : सच्चाई
    77. सर्वास्त्रधारिणी : सभी हथियारों धारण करने वाली
    78. अनेकशस्त्रहस्ता : हाथों में कई हथियार धारण करने वाली
    79. अनेकास्त्रधारिणी : अनेक हथियारों को धारण करने वाली
    80. कुमारी : सुंदर किशोरी
    81. एककन्या : कन्या
    82. कैशोरी : जवान लड़की
    83. युवती : नारी
    84. यति : तपस्वी
    85. अप्रौढा : जो कभी पुराना ना हो
    86. प्रौढा : जो पुराना है
    87. वृद्धमाता : शिथिल
    88. बलप्रदा : शक्ति देने वाली
    89. महोदरी : ब्रह्मांड को संभालने वाली
    90. मुक्तकेशी : खुले बाल वाली
    91. घोररूपा : एक भयंकर दृष्टिकोण वाली
    92. महाबला : अपार शक्ति वाली
    93. अग्निज्वाला : मार्मिक आग की तरह
    94. रौद्रमुखी : विध्वंसक रुद्र की तरह भयंकर चेहरा
    95. कालरात्रि : काले रंग वाली
    96. तपस्विनी : तपस्या में लगे हुए
    97. नारायणी : भगवान नारायण की विनाशकारी रूप
    98. भद्रकाली :  काली का भयंकर रूप
    99. विष्णुमाया : भगवान विष्णु का जादू
    100. जलोदरी : ब्रह्मांड में निवास करने वाली
    101. शिवदूती : भगवान शिव की राजदूत
    102. करली   : हिंसक
    103. अनन्ता : विनाश रहित
    104. परमेश्वरी : प्रथम देवी
    105. कात्यायनी : ऋषि कात्यायन द्वारा पूजनीय
    106. सावित्री : सूर्य की बेटी
    107. प्रत्यक्षा : वास्तविक


    108. ब्रह्मवादिनी : वर्तमान में हर जगह वास करने वाली






    भगवान कृष्ण के 108 नाम (108 Names of Lord Krishna in Hindi) 



    1 अचला  : भगवान।
    2 अच्युत  : अचूक प्रभु, या जिसने कभी भूल ना की हो।
    3 अद्भुतह  : अद्भुत प्रभु।
    4 आदिदेव  : देवताओं के स्वामी।
    5 अदित्या  : देवी अदिति के पुत्र।
    6 अजंमा  : जिनकी शक्ति असीम और अनंत हो।
    7 अजया  : जीवन और मृत्यु के विजेता।
    8 अक्षरा  : अविनाशी प्रभु।
    9 अम्रुत  : अमृत जैसा स्वरूप वाले।
    10 अनादिह  : सर्वप्रथम हैं जो।
    11 आनंद सागर  : कृपा करने वाले
    12 अनंता  : अंतहीन देव
    13 अनंतजित  : हमेशा विजयी होने वाले।
    14 अनया  : जिनका कोई स्वामी न हो।
    15 अनिरुध्दा  : जिनका अवरोध न किया जा सके।
    16 अपराजीत  : जिन्हें हराया न जा सके।
    17 अव्युक्ता  : माणभ की तरह स्पष्ट।
    18 बालगोपाल  : भगवान कृष्ण का बाल रूप।
    19 बलि  : सर्व शक्तिमान।
    20 चतुर्भुज  : चार भुजाओं वाले प्रभु।
    21 दानवेंद्रो  : वरदान देने वाले।
    22 दयालु  : करुणा के भंडार।
    23 दयानिधि  : सब पर दया करने वाले।
    24 देवाधिदेव  : देवों के देव
    25 देवकीनंदन  : देवकी के लाल (पुत्र)।
    26 देवेश  : ईश्वरों के भी ईश्वर
    27 धर्माध्यक्ष  : धर्म के स्वामी
    28 द्वारकाधीश  : द्वारका के अधिपति।
    29 गोपाल  : ग्वालों के साथ खेलने वाले।
    30 गोपालप्रिया  : ग्वालों के प्रिय
    31 गोविंदा  : गाय, प्रकृति, भूमि को चाहने वाले।
    32 ज्ञानेश्वर  : ज्ञान के भगवान
    33 हरि  : प्रकृति के देवता।
    34 हिरंयगर्भा  : सबसे शक्तिशाली प्रजापति।
    35 ऋषिकेश  : सभी इंद्रियों के दाता।
    36 जगद्गुरु  : ब्रह्मांड के गुरु
    37 जगदिशा  : सभी के रक्षक
    38 जगन्नाथ  : ब्रह्मांड के ईश्वर।
    39 जनार्धना  : सभी को वरदान देने वाले।
    40 जयंतह  : सभी दुश्मनों को पराजित करने वाले।
    41 ज्योतिरादित्या : जिनमें सूर्य की चमक है।
    42 कमलनाथ  : देवी लक्ष्मी की प्रभु
    43 कमलनयन  : जिनके कमल के समान नेत्र हैं।
    44 कामसांतक  : कंस का वध करने वाले।
    45 कंजलोचन  : जिनके कमल के समान नेत्र हैं।
    46 केशव  :
    47 कृष्ण  : सांवले रंग वाले।
    48 लक्ष्मीकांत  : देवी लक्ष्मी की प्रभु।
    49 लोकाध्यक्ष  : तीनों लोक के स्वामी।
    50 मदन  : प्रेम के प्रतीक।
    51 माधव  : ज्ञान के भंडार।
    52 मधुसूदन  : मधु- दानवों का वध करने वाले।
    53 महेंद्र  : इन्द्र के स्वामी।
    54 मनमोहन  : सबका मन मोह लेने वाले।
    55 मनोहर  : बहुत ही सुंदर रूप रंग वाले प्रभु।
    56 मयूर  : मुकुट पर मोर- पंख धारण करने वाले भगवान।
    57 मोहन  : सभी को आकर्षित करने वाले।
    58 मुरली  : बांसुरी बजाने वाले प्रभु।
    59 मुरलीधर : मुरली धारण करने वाले।
    60 मुरलीमनोहर  : मुरली बजाकर मोहने वाले।
    61 नंद्गोपाल  : नंद बाबा के पुत्र।
    62 नारायन  : सबको शरण में लेने वाले।
    63 निरंजन  : सर्वोत्तम।
    64 निर्गुण  : जिनमें कोई अवगुण नहीं।
    65 पद्महस्ता  : जिनके कमल की तरह हाथ हैं।
    66 पद्मनाभ  : जिनकी कमल के आकार की नाभि हो।
    67 परब्रह्मन  : परम सत्य।
    68 परमात्मा  : सभी प्राणियों के प्रभु।
    69 परमपुरुष  : श्रेष्ठ व्यक्तित्व वाले।
    70 पार्थसार्थी  : अर्जुन के सारथी।
    71 प्रजापती  : सभी प्राणियों के नाथ।
    72 पुंण्य  : निर्मल व्यक्तित्व।
    73 पुर्शोत्तम  : उत्तम पुरुष।
    74 रविलोचन  : सूर्य जिनका नेत्र है।
    75 सहस्राकाश  : हजार आंख वाले प्रभु।
    76 सहस्रजित  : हजारों को जीतने वाले।
    77 सहस्रपात  : जिनके हजारों पैर हों।
    78 साक्षी  : समस्त देवों के गवाह।
    79 सनातन  : जिनका कभी अंत न हो।
    80 सर्वजन  : सब- कुछ जानने वाले।
    81 सर्वपालक  : सभी का पालन करने वाले।
    82 सर्वेश्वर  : समस्त देवों से ऊंचे।
    83 सत्यवचन  : सत्य कहने वाले।
    84 सत्यव्त  : श्रेष्ठ व्यक्तित्व वाले देव।
    85 शंतह  : शांत भाव वाले।
    86 श्रेष्ट  : महान।
    87 श्रीकांत  : अद्भुत सौंदर्य के स्वामी।
    88 श्याम  : जिनका रंग सांवला हो।
    89 श्यामसुंदर  : सांवले रंग में भी सुंदर दिखने वाले।
    90 सुदर्शन  : रूपवान।
    91 सुमेध  : सर्वज्ञानी।
    92 सुरेशम  : सभी जीव- जंतुओं के देव।
    93 स्वर्गपति  : स्वर्ग के राजा।
    94 त्रिविक्रमा  : तीनों लोकों के विजेता
    95 उपेंद्र  : इन्द्र के भाई।
    96 वैकुंठनाथ  : स्वर्ग के रहने वाले।
    97 वर्धमानह  : जिनका कोई आकार न हो।
    98 वासुदेव  : सभी जगह विद्यमान रहने वाले।
    99 विष्णु  : भगवान विष्णु के स्वरूप।
    100 विश्वदक्शिनह : निपुण और कुशल।
    101 विश्वकर्मा  : ब्रह्मांड के निर्माता
    102 विश्वमूर्ति : पूरे ब्रह्मांड का रूप।
    103 विश्वरुपा  : ब्रह्मांड- हित के लिए रूप धारण करने वाले।
    104 विश्वात्मा  : ब्रह्मांड की आत्मा।
    105 वृषपर्व  : धर्म के भगवान।
    106 यदवेंद्रा  : यादव वंश के मुखिया।
    107 योगि  : प्रमुख गुरु।


    108 योगिनाम्पति : योगियों के स्वामी।







    विष्णुजी के 108 नाम (108 Names of Lord Vishnu  with Meaning in Hindi) 



    1. नारायण : ईश्वर, परमात्मा
    2. विष्णु : हर जगह विराजमान रहने वाले
    3. वषट्कार: यज्ञ से प्रसन्न होने वाले
    4. भूतभव्यभवत्प्रभु: भूत, वर्तमान और भविष्य के स्वामी
    5. भूतकृत : सभी प्राणियों के रचयिता
    6. भूतभृत : सभी प्राणियों का पोषण करने वाले
    7. भाव : सम्पूर्ण अस्तित्व वाले
    8. भूतात्मा : ब्रह्मांड के सभी प्राणियों की आत्मा में वास करने वाले
    9. भूतभावन : ब्रह्मांड के सभी प्राणियों का पोषण करने वाले
    10. पूतात्मा : शुद्ध छवि वाले प्रभु
    11. परमात्मा : श्रेष्ठ आत्मा
    12. मुक्तानां परमागति: मोक्ष प्रदान करने वाले
    13. अव्यय: : हमेशा एक रहने वाले
    14. पुरुष: : हर जन में वास करने वाले
    15. साक्षी : ब्रह्मांड की सभी घटनाओं के साक्षी
    16. क्षेत्रज्ञ: : क्षेत्र के ज्ञाता
    17. गरुड़ध्वज: गरुड़ पर सवार होने वाले
    18. योग: : श्रेष्ठ योगी
    19. योगाविदां नेता : सभी योगियों का स्वामी
    20. प्रधानपुरुषेश्वर : प्रकृति और प्राणियों के भगवान
    21. नारसिंहवपुष: : नरसिंह रूप धरण करने वाले
    22. श्रीमान् : देवी लक्ष्मी के साथ रहने वाले
    23. केशव : सुंदर बाल वाले
    24. पुरुषोत्तम : श्रेष्ठ पुरुष
    25. सर्व : संपूर्ण या जिसमें सब चीजें समाहित हों
    26. शर्व : बाढ़ में सब कुछ नाश करने वाले
    27. शिव : सदैव शुद्ध रहने वाले
    28. स्थाणु : स्थिर रहने वाले
    29. भूतादि : सभी को जीवन देने वाले
    30. निधिरव्यय : अमूल्य धन के समान
    31. सम्भव : सभी घटनाओं में स्वामी
    32. भावन : भक्तों को सब कुछ देने वाले
    33. भर्ता : सम्पूर्ण ब्रह्मांड के संचालक
    34. प्रभव : सभी चीजों में उपस्थित होने वाले
    35. प्रभु : सर्वशक्तिमान प्रभु
    36. ईश्वर : पूरे ब्रह्मांड पर अधिपति
    37. स्वयम्भू : स्वयं प्रकट होने वाले
    38. शम्भु : खुशियां देने वाले
    39. आदित्य : देवी अदिति के पुत्र
    40. पुष्कराक्ष : कमल जैसे नयन वाले
    41. महास्वण : वज्र की तरह स्वर वाले
    42. अनादिनिधन : जिनका न आदि है एयर न अंत
    43. धाता : सभी का समर्थन करने वाले
    44. विधाता : सभी कार्यों व परिणामों की रचना करने वाले
    45. धातुरुत्तम : ब्रह्मा से भी महान
    46. अप्रेमय : नियम व परिभाषाओं से परे
    47. हृषीकेशा : सभी इंद्रियों के स्वामी
    48. पद्मनाभ : जिनके पेट से ब्रह्मांड की उत्पत्ति हुई
    49. अमरप्रभु : अमर रहने वाले
    50. विश्वकर्मा : ब्रह्मांड के रचयिता
    51. मनु : सभी विचार के दाता
    52. त्वष्टा : बड़े को छोटा करने वाले
    53. स्थविष्ठ : मुख्य
    54. स्थविरो ध्रुव : प्राचीन देवता
    55. अग्राह्य : मांसाहार का त्याग करने वाले
    56. शाश्वत : हमेशा अवशेष छोड़ने वाले
    57. कृष्ण : काले रंग वाले
    58. लोहिताक्ष : लाल आँखों वाले
    59. प्रतर्दन : बाढ़ के विनाशक
    60. प्रभूत : धन और ज्ञान के दाता
    61. त्रिककुब्धाम : सभी दिशाओं के भगवान
    62. पवित्रां : हृदया पवित्र करने वाले
    63. मंगलपरम् : श्रेष्ठ कल्याणकारी
    64. ईशान : हर जगह वास करने वाले
    65. प्राणद : प्राण देने वाले
    66. प्राण : जीवन के स्वामी
    67. ज्येष्ठ : सबसे बड़े प्रभु
    68. श्रेष्ठ : सबसे महान
    69. प्रजापति : सभी के मुख्य
    70. हिरण्यगर्भ : विश्व के गर्भ में वास करने वाले
    71. भूगर्भ : खुद के भीतर पृथ्वी का वहन करने वाले
    72. माधव : देवी लक्ष्मी के पति
    73. मधुसूदन : रक्षक मधु के विनाशक
    74. ईश्वर : सबको नियंत्रित करने वाले
    75. विक्रमी : सबसे साहसी भगवान
    76. धन्वी : श्रेष्ठ धनुष- धारी
    77. मेधावी : सर्वज्ञाता
    78. विक्रम : ब्रह्मांड को मापने वाले
    79. क्रम : हर जगह वास करने वाले
    80. अनुत्तम : श्रेष्ठ ईश्वर
    81. दुराधर्ष : सफलतापूर्वक हमला न करने वाले
    82. कृतज्ञ : अच्छाई- बुराई का ज्ञान देने वाले
    83. कृति : कर्मों का फल देने वाले
    84. आत्मवान : सभी मनुष्य में वास करने वाले
    85. सुरेश : देवों के देव
    86. शरणम : शरण देने वाले
    87. शर्म :
    88. विश्वरेता : ब्रह्मांड के रचयिता
    89. प्रजाभव : भक्तों के अस्तित्व के लिए अवतार लेने वाले
    90. अह्र : दिन की तरह चमकने वाले
    91. सम्वत्सर : अवतार लेने वाले
    92. व्याल : नाग द्वारा कभी न पकड़े जाने वाले
    93. प्रत्यय : ज्ञान का अवतार कहे जाने वाले
    94. सर्वदर्शन : सब कुछ देखने वाले
    95. अज : जिनका जन्म नहीं हुआ
    96. सर्वेश्वर : सम्पूर्ण ब्रह्मांड के स्वामी
    97. सिद्ध : सब कुछ करने वाले
    98. सिद्धि : कार्यों के प्रभाव देने वाले
    99. सर्वादि : सभी क्रियाओं के प्राथमिक कारण
    100. अच्युत : कभी न चूकने वाले
    101. वृषाकपि: धर्म और वराह का अवतार लेने वाले
    102. अमेयात्मा: जिनका कोई आकार नहीं है।
    103. सर्वयोगविनि:  सभी योगियों के स्वामी
    104. वसु : सभी प्राणियों में रहने वाले
    105. वसुमना: सौम्य हृदय वाले
    106. सत्य : सत्य का समर्थन करने वाले
    107. समात्मा: सभी के लिए एक जैसे
    108. सममित: सभी प्राणियों में असीमित रहने वाले






    सूर्य देव के 108 नाम (108 Names of Lord Surya in Hindi)





    1. अरुण- तांबे जैसे रंग वाला
    2. शरण्य- शरण देने वाला
    3. करुणारससिन्धु- करुणा- भावना के महासागर
    4. असमानबल- असमान बल वाले
    5. आर्तरक्षक- पीड़ा से रक्षा करने वाले
    6. आदित्य- अदिति के पुत्र
    7. आदिभूत- प्रथम जीव
    8. अखिलागमवेदिन- सभी शास्त्रों के ज्ञाता
    9. अच्युत- जिसता अंत विनाश न हो सके (अविनाशी)
    10. अखिलज्ञ- सब कुछ का ज्ञान रखने वाले
    11. अनन्त- जिसकी कोई सीमा नहीं है
    12. इना- बहुत शक्तिशाली
    13. विश्वरूप- सभी रूपों में दिखने वाला
    14. इज्य- परम पूजनीय
    15. इन्द्र- देवताओं के राजा
    16. भानु- एक अद्भुत तेज के साथ
    17. इन्दिरामन्दिराप्त- इंद्र निवास का लाभ पाने वाले
    18. वन्दनीय- स्तुती करने योग्य
    19. ईश- इश्वर
    20. सुप्रसन्न- बहुत उज्ज्वल
    21. सुशील- नेक दिल वाल
    22. सुवर्चस्- तेजोमय चमक वाले
    23. वसुप्रद- धन दान करने वाले
    24. वसु- देव
    25. वासुदेव- श्री कृष्ण
    26. उज्ज्वल- धधकता हुआ तेज वाला
    27. उग्ररूप-क्रोद्ध में रहने वाले
    28. ऊर्ध्वग- आकार बढ़ाने वाला
    29. विवस्वत्-चमकता हुआ
    30. उद्यत्किरणजाल- रोशनी की बढ़ती कड़ियों का एक जाल उत्पन्न करने वाले
    31. हृषीकेश- इंद्रियों के स्वामी
    32. ऊर्जस्वल- पराक्रमी
    33. वीर- (निडर) न डरने वाला
    34. निर्जर- न बिगड़ने वाला
    35. जय- जीत हासिल करने वाला
    36. ऊरुद्वयाभावरूपयुक्तसारथी- बिना जांघों वाले सारथी
    37. ऋषिवन्द्य- ऋषियों द्वारा पूजे जाने वाले
    38. रुग्घन्त्र्- रोग के विनाशक
    39. ऋक्षचक्रचर- सितारों के चक्र के माध्यम से चलने वाले
    40. ऋजुस्वभावचित्त- प्रकृति की वास्तविक शुद्धता को पहचानने वाले
    41. नित्यस्तुत्य- प्रशस्त के लिए तैयार रहने वाला
    42. ऋकारमातृकावर्णरूप- ऋकारा पत्र के आकार वाला
    43. उज्ज्वलतेजस्- धधकते दीप्ति वाले
    44. ऋक्षाधिनाथमित्र- तारों के देवता के मित्र
    45. पुष्कराक्ष- कमल नयन वाले
    46. लुप्तदन्त- जिनके दांत नहीं हैं
    47. शान्त- शांत रहने वाले
    48. कान्तिद- सुंदरता के दाता
    49. घन- नाश करने वाल
    50. कनत्कनकभूष- तेजोमय रत्न वाले
    51. खद्योत- आकाश की रोशनी
    52. लूनिताखिलदैत्य- असुरों का नाश करने वाला
    53. सत्यानन्दस्वरूपिण्- परमानंद प्रकृति वाले
    54. अपवर्गप्रद- मुक्ति के दाता
    55. आर्तशरण्य- दुखियों को अपने शरण में लेने वाले
    56. एकाकिन्- त्यागी
    57. भगवत्- दिव्य शक्ति वाले
    58. सृष्टिस्थित्यन्तकारिण्- जगत को बनाने वाले, चलाने वाले और उसका अंत करने वाले
    59. गुणात्मन्- गुणों से परिपूर्ण
    60. घृणिभृत्- रोशनी को अधिकार में रखने वाले
    61. बृहत्- बहुत महान
    62. ब्रह्मण्- अनन्त ब्रह्म वाला
    63. ऐश्वर्यद- शक्ति के दाता
    64. शर्व- पीड़ा देने वाला
    65. हरिदश्वा- गहरे पीले के रंग घोड़े के साथ रहने वाला
    66. शौरी- वीरता के साथ रहने वाला
    67. दशदिक्संप्रकाश- दसों दिशाओं में रोशनी देने वाला
    68. भक्तवश्य- भक्तों के लिए चौकस रहने वाला
    69. ओजस्कर- शक्ति के निर्माता
    70. जयिन्- सदा विजयी रहने वाला
    71. जगदानन्दहेतु- विश्व के लिए उत्साह का कारण बनने वाले
    72. जन्ममृत्युजराव्याधिवर्जित- युवा,वृद्धा, बचपन सभी अवस्थाओं से दूर रहने वाले
    73. उच्चस्थान समारूढरथस्थ- बुलंद इरादों के साथ रथ पर चलने वाले
    74. असुरारी- राक्षसों के दुश्मन
    75. कमनीयकर- इच्छाओं को पूर्ण करने वाले
    76. अब्जवल्लभ- अब्जा के दुलारे
    77. अन्तर्बहिः प्रकाश- अंदर और बाहर से चमकने वाले
    78. अचिन्त्य- किसी बात की चिन्ता न करने वाले
    79. आत्मरूपिण्- आत्मा रूपी
    80. अच्युत- अविनाशी रूप वाले
    81. अमरेश- सदा अमर रहने वाले
    82. परम ज्योतिष्- परम प्रकाश वाले
    83. अहस्कर- दिन की शुरूआत करने वाले
    84. रवि- भभकने वाले
    85. हरि- पाप को हटाने वाले
    86. परमात्मन्- अद्भुत आत्मा वाले
    87. तरुण- हमेशा युवा रहने वाले
    88. वरेण्य- उत्कृष्ट चरित्र वाला
    89. ग्रहाणांपति- ग्रहों के देवता
    90. भास्कर- प्रकाश के जन्म दाता
    91. आदिमध्यान्तरहित- जन्म, मृत्यु, रोग आदि पर विजय पाने वाले
    92. सौख्यप्रद- खुशी देने वाला
    93. सकलजगतांपति- संसार के देवता
    94. सूर्य- शक्तिशाली और तेजस्वी
    95. कवि- ज्ञानपूर्ण
    96. नारायण- पुरुष की दृष्टिकोण वाले
    97. परेश- उच्च देवता
    98. तेजोरूप- आग जैसे रूप वाले
    99. हिरण्यगर्भ्- संसार के लिए सोनायुक्त रहने वाले
    100. सम्पत्कर- सफलता को बनाने वाले
    101. ऐं इष्टार्थद- मन की इच्छा पूरी करने वाले
    102. अं सुप्रसन्न- सबसे अधिक प्रसन्न रहने वाले
    103. श्रीमत्- सदा यशस्वी रहने वाले
    104. श्रेयस्- उत्कृष्ट स्वभाव वाले
    105. सौख्यदायिन्- प्रसन्नता के दाता
    106. दीप्तमूर्ती- सदा चमकदार रहने वाले
    107. निखिलागमवेद्य- सभी शास्त्रों के दाता
    108. नित्यानन्द- हमेशा आनंदित रहने वाले 








    देवता वास्तव में 33 करोड़ ही हैं, 33 प्रकार के नहीं। आमतौर पर जो लोग यह समझते हैं कि 33 कोटि शब्द में कोटि का अर्थ ‘प्रकार’ है, वे अपनी बात के समर्थन में निम्न बातें करते हैं।

    भ्रमपूर्ण तर्क : उनका कहना है कि हिन्दू धर्म को भ्रमित करने के लिए अक्सर देवी और देवताओं की संख्‍या 33 करोड़ बताई जाती रही है। 


    धर्मग्रंथों में देवताओं की 33 कोटि बताई गई है, करोड़ नहीं। जिस प्रकार एक ही शब्द को अलग-अलग स्थान पर प्रयोग करने पर अर्थ भिन्न हो जाता है| 


    उसी प्रकार देवभाषा संस्कृत में कोटि शब्द के दो अर्थ होते हैं।


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    Hindu Gods list







    कोटि का मतलब प्रकार होता है और एक अर्थ करोड़ भी होता है लेकिन यहां कोटि का अर्थ प्रकार है, करोड़ नहीं। 


    इस बात के समर्थन में वे यह भी कहते हैं कि ग्रंथों को खंगालने के बाद कुल 33 प्रकार के देवी-देवताओं का वर्णन मिलता है। ये निम्न प्रकार से हैं-

    12 आदित्य, 8 वसु, 11 रुद्र और इन्द्र व प्रजापति को मिलाकर कुल 33 देवता होते हैं। 


    कुछ विद्वान इन्द्र और प्रजापति की जगह 2 अश्विनी कुमारों को रखते हैं। प्रजापति ही ब्रह्मा हैं।

    12 आदित्य : 1. अंशुमान, 2. अर्यमा, 3. इन्द्र, 4. त्वष्टा, 5. धाता, 6. पर्जन्य, 7. पूषा, 8. भग, 9. मित्र, 10. वरुण, 11. विवस्वान और 12. विष्णु। 


    8 वसु : 1. अप, 2. ध्रुव, 3. सोम, 4. धर, 5. अनिल, 6. अनल, 7. प्रत्यूष और 8. प्रभाष। 

    11 रुद्र : 1. शम्भू, 2. पिनाकी, 3. गिरीश, 4. स्थाणु, 5. भर्ग, 6. भव, 7. सदाशिव, 8. शिव, 9. हर, 10. शर्व और 11. कपाली।

    2 अश्विनी कुमार : 1. नासत्य और 2. दस्त्र।

    कुल : 12+8+11+2=33

    33 देवी और देवताओं के कुल के अन्य बहुत से देवी-देवता हैं तथा सभी की संख्या मिलाकर भी 33 करोड़ नहीं होती| 


    लाख भी नहीं होती और हजार भी नहीं। वर्तमान में इनकी पूजा होती है।


    उपरोक्त तर्क का खंडन :

    प्रथम तो कोटि शब्द का अर्थ करोड़ भी है और प्रकार भी है, इसे हम अवश्य स्वीकार करते हैं, परंतु यह नहीं स्वीकार करते कि यहां कोटि का अर्थ करोड़ न होकर प्रकार होगा। 


    पहले तो कोटि शब्द को समझें। कोटि का अर्थ प्रकार लेने से कोई भी व्यक्ति 33 देवता नहीं गिना पाएगा। कारण, स्पष्ट है कि कोटि यानी प्रकार यानी श्रेणी। 


    अब यदि हम कहें कि आदित्य एक श्रेणी यानी प्रकार यानी कोटि है, तो यह कह सकते हैं कि आदित्य की कोटि में 12 देवता आते हैं जिनके नाम अमुक-अमुक हैं। 


    लेकिन आप ये कहें कि सभी 12 अलग-अलग कोटि हैं, तो जरा हमें बताएं कि पर्जन्य, इन्द्र और त्वष्टा की कोटि में कितने सदस्य हैं?

    ऐसी गणना ही व्यर्थ है, क्योंकि यदि कोटि कोई हो सकता है तो वह आदित्य है। 


    आदित्य की कोटि में 12 सदस्य, वसु की कोटि या प्रकार में 8 सदस्य आदि-आदि। 


    लेकिन यहां तो एक-एक देवता को एक-एक श्रेणी अर्थात प्रकार कह दिया है।

    द्वितीय, उन्हें कैसे ज्ञात कि यहां कोटि का अर्थ प्रकार ही होगा, करोड़ नहीं? 


    प्रत्यक्ष है कि देवता एक स्थिति है, योनि हैं जैसे मनुष्य आदि एक स्थिति है, योनि है। 


    मनुष्य की योनि में भारतीय, अमेरिकी, अफ्रीकी, रूसी, जापानी आदि कई कोटि यानी श्रेणियां हैं जिसमें इतने-इतने कोटि यानी करोड़ सदस्य हैं। 


    देव योनि में मात्र यही 33 देव नहीं आते। इनके अलावा मणिभद्र आदि अनेक यक्ष, चित्ररथ, तुम्बुरु, आदि गंधर्व, उर्वशी, रम्भा आदि अप्सराएं, अर्यमा आदि पितृगण, वशिष्ठ आदि सप्तर्षि, दक्ष, कश्यप आदि प्रजापति, वासुकि आदि नाग, 


    इस प्रकार और भी कई जातियां देवों में होती हैं जिनमें से 2-3 हजार के नाम तो प्रत्यक्ष अंगुली पर गिनाए जा सकते हैं।

    शुक्ल यजुर्वेद ने कहा : अग्निर्देवता वातो देवता सूर्यो देवता चन्द्रमा देवता वसवो देवता रुद्रा देवतादित्या देवता मरुतो देवता विश्वेदेवा देवता बृहस्पतिर्देवतेन्द्रो देवता वरुणो देवता।

    अथर्ववेद में आया है : अहमादित्यरुत विश्वेदेवै।

    इसमें अग्नि और वायु का नाम भी देवता के रूप में आया है। अब क्या ऊपर की 33 देव नामावली में ये न होने से देव नहीं गिने जाएंगे? 


    मैं ये नहीं कह रहा कि ये ऊपर के गिनाए गए 33 देवता नहीं होते बिलकुल होते हैं लेकिन इनके अलावा भी करोड़ों देव हैं।

    भगवती दुर्गा की 5 प्रधान श्रेणियों में 64 योगिनियां हैं। हर श्रेणी में 64 योगिनी। इनके साथ 52 भैरव भी होते हैं। 


    सैकड़ों योगिनी, अप्सरा, यक्षिणी के नाम मैं बता सकता हूं। 


    49 प्रकार के मरुद्गण और 56 प्रकार के विश्वेदेव होते हैं। ये सब कहां गए? इनकी गणना क्यों न की गई? 

    33 कोटि बताने वालों का दूसरा खंडन : 

    शिव-सती : सती ही पार्वती है और वही दुर्गा है। उसी के 9 रूप हैं। वही 10 महाविद्या है। 


    शिव ही रुद्र हैं और हनुमानजी जैसे उनके कई अंशावतार भी हैं।

    विष्णु-लक्ष्मी : विष्णु के 24 अवतार हैं, वही राम हैं और वही कृष्ण भी। बुद्ध भी वही है और नर-नारायण भी वही है। 


    विष्णु जिस शेषनाग पर सोते हैं वही नागदेवता भिन्न-भिन्न रूपों में अवतार लेते हैं। लक्ष्मण और बलराम उन्हीं के अवतार हैं।

    ब्रह्मा-सरस्वती : ब्रह्मा को प्रजापति कहा जाता है। उनके मानस पुत्रों के पुत्रों में कश्यप ऋषि हुए जिनकी कई पत्नियां थीं। 


    उन्हीं से इस धरती पर पशु-पक्षी और नर-वानर आदि प्रजातियों का जन्म हुआ। 


    चूंकि वे हमारे जन्मदाता हैं इसलिए ब्रह्मा को प्रजापिता भी कहा जाता है।

    वसु और रुद्र हैं कश्यप ऋषि की संतान 8 वसुओं को दक्ष कन्या वसु और कश्यप ऋषि की संताना संतान माना जाता है। 


    वहीं 11 रुद्रों के पिता भी कश्यप ऋषि ही माने जाते हैं रुद्रों की माता का नाम सुरभि बताया गया है।



    इस प्रकार भगवान ने 33 प्रकार के देवताओं को सृष्टि के संचालन के लिये अलग-अलग जिम्मेदारियां दी हुई हैं। 


    इन देवताओं के साथ-साथ कुछ देवदूतों और देवियों का जिक्र भी किया जाता है। 


    तीन लोकों का जिक्र किया जाता है जिसमें आकाश, वायु और पृथ्वी। 


    इन 33 कोटि देवताओं के कुल के कुछ अन्य देवी-देवता भी माने जाते हैं लेकिन इन सबकी संख्या भी करोड़ तो बहुत दूर हजार तक भी नहीं पंहुचती।

    यदि सारे रूद्र शिव के अवतार हैं, स्वयं हनुमानजी भी हैं, तो क्या आप पार्वती को हनुमानजी की पत्नी कह सकते हैं? क्यों नहीं? 


    इसीलिए क्योंकि हनुमान रुद्रावतार हैं उस समय अवतार यानी वही ऊर्जा होने पर भी स्वरूपत: और उद्देश्यत: भिन्न हैं। 


    ऐसे ही समग्र संसार नारायण रूप होने पर भी स्वरूपत: और उद्देश्यत: भिन्न हैं। 


    इसी कारण आप सीता को कृष्ण पत्नी और रुक्मिणी को राम पत्नी नहीं कह सकते, क्योंकि अभेद में भी भेद है। 


    और जो सभी के एक होने की बात करते हैं वे यदि इतने ही बड़े ब्रह्मज्ञानी हैं तो क्या उन्हें शिव और विष्णु की एकाकारता नहीं दिखती?



    शिव और विष्णु में इन्हें भेद दिखता है इसलिए इन्हें अलग-अलग गिनेंगे और राम और विष्णु में अभेद दिखता है, सो इन्हें नहीं गिनेंगे। समग्र संसार ही विष्णुरूप है, रुद्ररूप है, देवीरूप है।


    भेद भी है और अभेद भी है। लेकिन यदि अभेद मानते हो फिर ये जो 33 देव गिना रहे हो ये भी न गिना पाओगे, क्योंकि जब विष्णु के अवतार राम और कृष्ण को अभेद मानकर नहीं गिन रहे, सती के 10 महाविद्या अवतार को नहीं गिन रहे तो फिर शिवजी के 11 रुद्र अवतार को किस सिद्धांत से गिन रहे हो? 


    सभी ग्रामदेव, कुलदेव, अजर आदि क्षेत्रपाल, ये सबको कौन गिनेगा? ये छोड़ो, इस 33 वाली गणना में तो गणेश, कार्तिकेय, वीरभद्र, अग्नि, वायु, कुबेर, यमराज जैसे प्रमुख देवों को भी नहीं गिना गया।

    वेदों में कही-कहीं 13 देवता की भी बात आई है और कहीं-कहीं 36 देवता की भी चर्चा है। 3,339 और 6,000 की भी चर्चा है। अकेले वालखिल्यों की संख्या 60,000 है। 


    तो वहां इन 33 में से कुछ को लिया भी गया है और कुछ को नहीं भी। तो क्या वह असत्य है? बिलकुल नहीं। 


    जैसे जहां मनुष्य की चर्चा हो वहां आप केवल उनका ही नाम लेते हैं जिसका उस चर्चा से संबंध हो, सभी का नहीं। 


    वैसे ही जहां जैसे प्रसंग हैं वहां वैसे ही देवों का नाम लिया गया है। इसका अर्थ ये नहीं कि जिनकी चर्चा नहीं की गई, या अन्यत्र की गई, उसका अस्तित्व ही नहीं। 


    इस 33 की श्रेणी में गरूड़, नंदी आदि का नाम नहीं जबकि वेदों में तो है। 


    विनायक की श्रेणी में, वक्रतुण्ड की श्रेणी में गणेशजी के सैकड़ों अवतार के नाम तंत्र में आए हैं।

    हां, 33 कोटि देव की बात है जरूर और कोटि का अर्थ करोड़ ही है, क्योंकि देवता केवल स्वर्ग में नहीं रहते। 


    उनके सैकड़ों अन्य दिव्यलोक भी हैं। और ऐसा कहा जाए तो फिर सभी एकरूप होने से सीधे ब्रह्म के ही अंश हैं तो ये 33 भी गिनती में नहीं आएंगे। 


    फिर वैसे तो हम सब भी गिनती में नहीं आएंगे। सभी भारतीय ही हैं तो अलग-अलग क्यों गिनते हैं?






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