महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग उज्जैन

महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग हिन्दुओ के प्रमुख्य शिव मंदिरों में से एक है और शिवजी के बारह ज्योतिर्लिंगों में से भी एक है, इसके साथ ही इसे भगवान शिव का सबसे पवित्र स्थान भी माना जाता है।
 
कहते हैं शिव के अनेक रूप हैं। शिव की आराधना करने से आपकी हर मनोकामना पूर्ण होती है। श्रावण मास में तो शिव की आरधना अति फलदायी होती है। 
 
भगवान शिव देशभर में अनेक स्थानों पर ज्योतिर्लिंग के रूप में विराजमान हैं।  
 
यह ज्योतिर्लिंग भारत में मध्यप्रदेश के उज्जैन शहर में स्थित है। 
 
यह मंदिर रूद्र सागर सरोवर के किनारे पर बसा हुआ है। 
 
कहा जाता है की अधिष्ट देवता, भगवान शिव ने इस लिंग में स्वयंभू के रूप में बसते है, इस लिंग में अपनी ही अपार शक्तियाँ है और मंत्र-शक्ति से ही इस लिंग की स्थापना की गयी थी।
 

महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग का इतिहास
शक्ति पीठ के रूप में महाकालेश्वर मंदिर 

 
महाराजा विक्रमादित्य के न्याय की नगरी उज्जयिनी में भगवान महाकाल की असीम कृपा है। देशभर के बारह ज्योतिर्लिंगों में ‘महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग’ का अपना एक अलग महत्व है। 
 
कहा जाता है कि जो महाकाल का भक्त है उसका काल भी कुछ नहीं बिगाड़ सकता। 
 
महाकाल के बारे में तो यह भी कहा जाता है कि यह पृथ्वी का एक मात्र मान्य शिवलिंग है। 
 
महाकाल की महिमा का वर्णन इस प्रकार से भी किया गया है –
 
आकाशे तारकं लिंगं पाताले हाटकेश्वरम् ।
भूलोके च महाकालो लिंड्गत्रय नमोस्तु ते ॥
 
इसका तात्पर्य यह है कि आकाश में तारक लिंग, पाताल में हाटकेश्वर लिंग तथा पृथ्वी पर महाकालेश्वर ही मान्य शिवलिंग है। 
 
उज्जैन का सिंहस्थ मेला बहुत ही दुर्लभ संयोग लेकर आता है इसलिए इसका महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है। 
 
इस दिन यहाँ दस दुर्लभ योग होते हैं, जैसे : वैशाख माह, मेष राशि पर सूर्य, सिंह पर बृहस्पति, स्वाति नक्षत्र, शुक्ल पक्ष, पूर्णिमा आदि।
 
वर्तमान मंदिर को श्रीमान पेशवा बाजी राव और छत्रपति शाहू महाराज के जनरल श्रीमान रानाजिराव शिंदे महाराज ने 1736 में बनवाया था। 
 
इसके बाद श्रीनाथ महादजी शिंदे महाराज और श्रीमान महारानी बायजाबाई राजे शिंदे ने इसमें कई बदलाव और मरम्मत भी करवायी थी।
 
महाकालेश्वर में बनी मूर्ति को अक्सर दक्षिणामूर्ति भी कहा जाता है, क्योकि यह दक्षिण मुखी मूर्ति है। शिवेंत्र परंपरा के अनुसार ही 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक इसे चुना गया था। 
 
ओमकारेश्वर महादेव की प्रतिमा को महादेव तीर्थस्थल के उपर पवित्र स्थान पर बनाया गया है। 
 
इसके साथ ही गणेश, पार्वती और कार्तिकेय की प्रतिमा को भी पश्चिम, उत्तर और पूर्व में स्थापित किया गया है।
 
 
दक्षिण की तरफ भगवान शिव के वाहन नंदी की प्रतिमा भी स्थापित की गयी है। कहा जाता है की यह बने नागचंद्रेश्वर के मंदिर को साल में सिर्फ नागपंचमी के दिन ही एक दिन के लिये खोला जाता है। 
 
इस मंदिर की कुल पाँच मंजिले है, जिनमे से एक जमीन के निचे भी है। यह मंदिर एक पवित्र गार्डन में बना हुआ है, जो सरोवर के पास विशाल दीवारों से घिरा हुआ है। 
 
इसके साथ ही निचले पवित्र स्थान पर पीतल के लैंप भी लगाये गए है। दुसरे मंदिरों की तरह यहाँ भी भक्तो को भगवान का प्रसाद दिया जाता है।
 

महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की कथा

 
उज्जैन की प्रसिद्धि सदियों से एक पवित्र व धार्मिक नगर के रूप में रही है। लंबे समय तक यहाँ न्याय के राजा महाराजा विक्रमादित्य का शासन रहा। 
 
महाकवि कालिदास, बाणभट्ट आदि की कर्मस्थली भी यही नगर रहा। श्रीकृष्ण की शिक्षा भी यहीं हुई थी। 
 
दैवज्ञ वराहमिहिर की जन्मभूमि, महर्षि सांदीपनि की तपोभूमि, भर्तृहरि की योगस्थली, हरीशचंद्र की मोक्षभूमि आदि के रूप में उज्जैन की प्रसिद्धि रही है। 
 
उज्जैन का वर्णन कई ग्रंथों व पुराणों जैसे शिव महापुराण, स्कंदपुराण आदि में हुआ है। 
 
महाकालेश्वर मंदिर एक विशाल परिसर में स्थित है, जहाँ कई देवी-देवताओं के छोटे-बड़े मंदिर हैं। 
 
मंदिर में प्रवेश करने के लिए मुख्य द्वार से गर्भगृह तक की दूरी तय करनी पड़ती है। 
 
इस मार्ग में कई सारे पक्के चढ़ाव उतरने पड़ते हैं परंतु चौड़ा मार्ग होने से यात्रियों को दर्शनार्थियों को अधिक ‍परेशानियाँ नहीं आती है। 
 
गर्भगृह में प्रवेश करने के लिए पक्की सीढ़ियाँ बनी हैं। 
 
महाकालेश्वर का मंदिर का शिखर इस तरह से बनाया गया है की हमें यह आकाश की छूता हुआ दिखाई देता है, अपने आप में ही यह एक चमत्कार है। 
 
उज्जैन का महाकाल मंदिर शहर जे जनजीवन पर भी अपना वर्चस्व रखता है और वर्तमान समय में भी पारंपरिक हिन्दू परंपराओ को दर्शाता है।
 
महा शिवरात्रि के दिन, मंदिर के पास एक विशाल महोत्सव का आयोजन किया जाता है और देर रात तक भगवान शिव की पूजा की जाती है।
 
महाकालेश्वर मंदिर की सीमा में श्री स्वपनेश्वर महादेव मंदिर भी आता है, जहाँ भक्त महाकाल के रूप में शिवजी की पूजा करते है, और अपने सपनो को पूरा करने की उनसे मनोकामना करते है। 
 
सदाशिव मंदिर, समानुभूति को दर्शाने वाला मंदिर है, जहाँ भक्त सच्चे दिल से भगवान शिव को प्रार्थना करते है। ऐसा माना जाता है की यहाँ महादेव स्वपनेश्वर है और शक्ति स्वपनेश्वरी है।
 
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 Timing of Mahakaleshwar Jyotirlinga Ujjain

यह मंदिर सुबह 4 से रात 11 बजे तक खुला रहता है।

महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की स्थापना कैसे हुई

 
7 वी शताब्दी में मंदिर की मरम्मत भी की गयी थी और इसे काफी हद तक सजाया भी गया था।
 
इस पवित्र तीर्थस्थान को 18 महा शक्ति पीठ में भी शामिल किया गया है।
 
शक्ति पीठ भी एक प्रकार से तीर्थस्थल ही होते है, जहाँ ऐसा माना जाता है की उस जगह पर जाने से इंसान के शरीर को आंतरिक शक्ति मिलती है। सभी शक्ति पीठ अपनी शक्तियों के लिये प्रसिद्ध है।
 
शिव पुराण के अनुसार, एक बार ब्रह्मा और भगवान विष्णु रचना की महत्ता को लेकर बहस करने लगे थे। 
 
उनकी परीक्षा लेने के लिये शिवजी ने प्रकार के पिल्लर, ज्योतिर्लिंग को तीन भागो में बांटा। 
 
भगवान विष्णु और ब्रह्मा ने क्रमशः निचे और तरफ से और उपर की तरफ से अपने रास्तो की बांटा ताकि के प्रकाश के अंत को जान सके। 
 
इसके बाद ब्रह्मा ने झूट बोला की उन्हें अंत मिल गया, जबकि भगवान विष्णु ने अपनी हार स्वीकार की थी। 
 
तभी शिवजी दुसरे पिल्लर में से प्रकट हुए और ब्रह्मा जी को उन्होंने अभिशाप दिया की दैवीय पूजा में ब्रह्मा को कोई स्थान नही मिलेंगा जबकि भगवान विष्णु को लोग हमेशा पूजते रहेंगे। 
 
कहा जाता है की इन 12 ज्योतिर्लिंगों में शिवजी का थोडा-थोडा भाग रहता है। शिवजी के रूप में ज्योतिर्लिंग के कुल 64 प्रकार है, लेकिन फिर भी इन 12 ज्योतिर्लिंगों की अलग ही पहचान है। 
 
12 ज्योतिर्लिंगों में से हर एक ज्योतिर्लिंग का एक अपना ही अलग नाम है – जो भगवान शिव के विविध प्रत्यक्षीकरण पर आधारित है।
 
मंदिर परिसर में एक प्राचीन कुंड है। वर्तमान में जो महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग है वह तीन खंडों में विभाजित है। 
 
निचले खंड में महाकालेश्वर, मध्य के खंड में ओंकारेश्वर तथा ऊपरी खंड में श्री नागचंद्रेश्वर मंदिर स्थित है। 
 
गर्भगृह में विराजित भगवान महाकालेश्वर का विशाल दक्षिणमुखी शिवलिंग है, ज्योतिष में जिसका विशेष महत्व है। 
 
इसी के साथ ही गर्भगृह में माता पार्वती, भगवान गणेश व कार्तिकेय की मोहक प्रतिमाएँ हैं। 
 
गर्भगृह में नंदी दीप स्थापित है, जो सदैव प्रज्ज्वलित होता रहता है। 
 
गर्भगृह के सामने विशाल कक्ष में नंदी की प्रतिमा विराजित है। इस कक्ष में बैठकर हजारों श्रद्धालु शिव आराधना का पुण्य लाभ लेते हैं। 
 

महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की भस्म आरती

मुख्य आकर्षण : महाकालेश्वर मंदिर के मुख्य आकर्षणों में भगवान महाकाल की भस्म आरती, नागचंद्रेश्वर मंदिर, भगवान महाकाल की शाही सवारी आदि है। 
 
प्रतिदिन अलसुबह होने वाली भगवान की भस्म आरती के लिए कई महीनों पहले से ही बुकिंग होती है। 
 
इस आरती की खासियत यह है कि इसमें ताजा मुर्दे की भस्म से भगवान महाकाल का श्रृंगार किया जाता है लेकिन आजकल इसका स्थान गोबर के कंडे की भस्म का उपयोग किया जाता है  | 
 
परंतु आज भी यही कहा जाता है कि यदि आपने महाकाल की भस्म आरती नहीं देखी तो आपका महाकालेश्वर दर्शन अधूरा है।
 
उज्जैन का सिंहस्थ मेला बहुत ही दुर्लभ संयोग लेकर आता है इसलिए इसका महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है। इस दिन यहाँ दस दुर्लभ योग होते हैं, 
 
जैसे : वैशाख माह, मेष राशि पर सूर्य, सिंह पर बृहस्पति, स्वाति नक्षत्र, शुक्ल पक्ष, पूर्णिमा आदि।
 
प्रति बारह वर्ष में पड़ने वाला कुंभ मेला यहाँ का सबसे बड़ा मेला है, जिसमें देश-विदेश से आए साधु-संतों व श्रद्धालुओं का जमावड़ा लगता है। 
 
महाकालेश्वर मंदिर के ऊपरी तल पर स्थित प्राचीन व चमत्कारी नागचंद्रेश्वर मंदिर वर्ष में एक बार केवल नागपंचमी को ही श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खोला जाता है। 
 
यहाँ हर वर्ष श्रावण मास में भगवान महाकाल की शाही सवारी निकाली जाती हैं। 
 
हर सोमवती अमावस्या पर उज्जैन में श्रद्धालु पुण्य सलिला शिप्रा स्नान के लिए पधारते हैं। 
 
फाल्गुनकृष्ण पक्ष की पंचमी से लेकर महाशिवरात्रि तक तथा नवरात्रि महोत्सव पर यहाँ महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के विशेष दर्शन, पूजन व रूद्राभिषेक होता है।
 
भारतीय स्वतंत्रता के बाद महाकालेश्वर मंदिर देव सुल्तान ट्रस्ट के हाथो से उज्जैन महानगरपालिका के अधीन चला गया। और आज यह मंदिर उज्जैन जिला कलेक्टर ऑफिस के अधीन आता है।
 
भगवान महाकाल की नगरी उज्जैन व उसके आसपास के गाँवों में कई प्रसिद्ध मंदिर व आश्रम है, जिनमें चिंतामण गणेश मंदिर, कालभैरव, गोपाल मंदिर, हरसिद्धि मंदिर, त्रिवेणी संगम, सिद्धवट, मंगलनाथ, इस्कॉन मंदिर आदि प्रमुख है। 
 
इन स्थानों पर पहुँचने के लिए महाकालेश्वर मंदिर से बस व टैक्सी सुविधा उपलब्ध है। 
  महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग उज्जैन
  महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग उज्जैन

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